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विपक्षी खेमे से धामकेदार ऑफर.. क्या फिर से अंतरात्मा की आवाज़ सुनेंगे नीतीश ?

पटना, बिहार की सियासत में तेजी से घटनाक्रम बदल रहे हैं, कुछ दिन पहले तक सब कुछ ऑल इज वैल का दावा करने वाले अब बैठकें कर रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर फिर एक बार शुरू हो गया है, गेंद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खेमे में है और उनके फैसला का हर […]

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विपक्षी खेमे से धामकेदार ऑफर.. क्या फिर से अंतरात्मा की आवाज़ सुनेंगे नीतीश ?
  • August 8, 2022 8:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

पटना, बिहार की सियासत में तेजी से घटनाक्रम बदल रहे हैं, कुछ दिन पहले तक सब कुछ ऑल इज वैल का दावा करने वाले अब बैठकें कर रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर फिर एक बार शुरू हो गया है, गेंद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खेमे में है और उनके फैसला का हर कोई इंतज़ार रहा है. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या फिर नीतीश कुमार अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने वाले हैं? क्या एक बार फिर चुनाव से ठीक पहले वे कोई बड़ा खेल करने वाले हैं?

विपक्ष से नीतीश को क्या ऑफर मिला?

कल जेडीयू के विधायक दल की एक अहम बैठक होने वाली है. इसी कड़ी में आरजेडी भी अपने विधायकों के साथ एक बैठक करने वाली है. कहा जा रहा है कि बैठक में बिहार की वर्तमान स्थिति पर मंथन होने वाला है, साथ ही आगे की रणनीति पर भी विचार-विमश होगा. इन बैठकों से पहले ही बयानबाजी और ऑफर का सिलसिला शुरू हो चुका है, अब विपक्षी पार्टी CPIML(L) के नेता दिपांकर भट्टाचार्य ने शर्त रख दी है कि अगर जेडीयू भाजपा का साथ छोड़ने को तैयार हो जाती है, तो उसे मदद की जा सकती है. इसी तरह आरजेडी की तरफ से भी एक नपा-तुला बयान सामने आया है, अब खुलकर तो दोनों ओर से समर्थन का कोई ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन ‘जनता का आदेश’ और ‘वर्तमान स्थिति’ जैसे बयानों के जरिए कुछ संकेत जरूर दे दिए हैं.

क्या चाहते हैं नीतीश ?

बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नीतीश कुमार 15 साल से सत्ता में हैं, और अब वह चाहते हैं कि भाजपा उन्हें परेशान करना बंद कर दे. वह चाहते हैं कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष को हटाने जैसे कदम उठाया जाए, जिससे ये संकेत मिले कि मुख्यमंत्री को बीच में ही इस्तीफा देने को मजबूर नहीं किया जा रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो अभी तक वह यह तय नहीं कर पाए हैं कि उनकी सरकार में कौन से भाजपा विधायक मंत्री बनेंगे.

एक थ्योरी यह भी है कि अगर कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है और अन्य राज्यों के नेता गठबंधन के उम्मीदवार पर एकमत बनाते हैं तो एनडीए से बाहर होने के बाद नीतीश कुमार 2024 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभर सकते हैं, लेकिन कई लोग यह भी तर्क देते हैं कि उनके पास इस तरह की राजनीतिक लड़ाई के लिए अब ऊर्जा नहीं बची है.

 

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