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अमेरिका ने हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा किया है: अमेरिकी स्पीकर पेलोसी बोली

Nancy Pelosi Taiwan Visit: नई दिल्ली। ताइवान दौरे के दौरान अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और अन्य सांसदों के साथ मुलाकात की। राष्ट्रपति से मिलने से पहले पेलोसी ने ताइवान की संसद को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका ने हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा […]

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अमेरिका ने हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा किया है: अमेरिकी स्पीकर पेलोसी बोली
  • August 3, 2022 3:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

Nancy Pelosi Taiwan Visit:

नई दिल्ली। ताइवान दौरे के दौरान अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और अन्य सांसदों के साथ मुलाकात की। राष्ट्रपति से मिलने से पहले पेलोसी ने ताइवान की संसद को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका ने हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा किया है।

लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष

नैंसी पेलोसी ने कहा कि दुनिया में लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष है। जैसा कि चीन समर्थन हासिल करने के लिए अपनी सॉफ्ट पावर का उपयोग करता है, हमें ताइवान के बारे में उसकी तकनीकी प्रगति के बारे में बात करनी होगी और लोगों को ताइवान के अधिक लोकतांत्रिक बनने का साहस दिखाना होगा।

हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा

पेलोसी ने आगे कहा कि अमेरिका ने हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा किया है। इस मजबूत नींव पर, हमारी आर्थिक समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध क्षेत्र और दुनिया में पारस्परिक सुरक्षा पर केंद्रित स्व-सरकार और आत्मनिर्णय पर आधारित एक संपन्न साझेदारी है।

ताइवान में फल-फूल रहा है लोकतंत्र

स्पीकर पेलोसी ने कहा कि ताइवान में लोकतंत्र फल-फूल रहा है। ताइवान ने दुनिया को साबित किया है कि चुनौतियों के बावजूद अगर आशा, साहस और दृढ़ संकल्प है तो आप समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। ताइवान के साथ अमेरिका की एकजुटता महत्वपूर्ण है। आज हम यही संदेश लेकर आए हैं

चीन-ताइवान के बीच विवाद क्या है?

ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है। ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान और लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार भी है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का महत्वपूर्ण हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को एक बार फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते आए हैं।

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