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कॉमनवेल्थ गेम्स : गरीबी में बीता पूनम का बचपन, घर का सामान बेच ली थी ट्रेनिंग

नई दिल्ली, इंग्लैंड के बर्मिंघम में खेले जा रहे 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स के पांचवें दिन यानी आज भारतीय खिलाड़ियों को 9 मेडल मैचों में उतरना हैं, जिसमें वेटलिफ्टर पूनम यादव भी खास हैं, उनसे गोल्ड की उम्मीद की जा रही है। कौन हैं पूनम यादव? पूनम यादव एक भारतीय वेटलिफ्टर हैं, जिन्होंने कई सारी प्रतियोगिता […]

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कॉमनवेल्थ गेम्स : गरीबी में बीता पूनम का बचपन, घर का सामान बेच ली थी ट्रेनिंग
  • August 2, 2022 3:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, इंग्लैंड के बर्मिंघम में खेले जा रहे 22वें कॉमनवेल्थ गेम्स के पांचवें दिन यानी आज भारतीय खिलाड़ियों को 9 मेडल मैचों में उतरना हैं, जिसमें वेटलिफ्टर पूनम यादव भी खास हैं, उनसे गोल्ड की उम्मीद की जा रही है।

कौन हैं पूनम यादव?

पूनम यादव एक भारतीय वेटलिफ्टर हैं, जिन्होंने कई सारी प्रतियोगिता में भाग लिया हुआ है और कई सारे मेडल भी भारत के नाम किए हैं। वहीं इस वक्त चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भीअच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। पूनम यादव का जन्म साल 1995 में भारत के वाराणसी शहर के चंद्रमारी में हुआ था। पूनम ने अपने राज्य यानी उत्तर प्रदेश के काशी विद्यापीठ से पढ़ाई की। विद्यापीठ वाराणसी में ही स्थित है। पूनम यादव का बचपन गरीबी में बीता है। इनके परिवार में इनके माता और पिता के अलावा दो बहनें और एक भाई है। पूनम की बड़ी बहन का नाम शशि हैं और वो भी उन्ही की तरह वेट लिफ्टर हैं। वहीं पूनम की छोटी बहन पूजा भी वेटलिफ्टंग में अपना करियर बना रही हैं।

स्नैच राउंड – बेस्ट अटेंप 98 किग्रा

पहला प्रयास: 95 किग्रा उठाने में असफल
दूसरा राउंड: 95 किग्रा उठाया
तीसरा राउंड: 98 किग्रा उठाया

बता दें, पूनम ने पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में गोल्ड मेडल जीता था। तब वह 69 किग्रा इवेंट में उतरी थीं, इससे पहले 2014 कॉमनवेल्थ में पूनम ने 63 किग्रा इवेंट में ब्रॉन्ज जीता था. वह 2015 कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में भी गोल्ड जीत चुकी है, ऐसे में आज भी पूनम से गोल्ड मेडल की उम्मीद की जा रही है।

पूनम यादव का करियर

वाराणसी के एसएआई प्रशिक्षण केंद्र से पूनम यादव ने वेटलिफ्टंग की ट्रनिंग ली है। इसी केंद्र से इनकी बड़ी बहन ने भी ट्रेनिंग ली थी। जब इनकी बहन ने इस केंद्र में दाखिला लिया था, तो उसके कुछ ही सालों बाद पूनम ने भी इसी केंद्र में दाखिला लिया था। पूनम के बाद इनकी छोटी बहन पूजा ने भी इस केंद्र से वेटलिफ्टंग की ट्रनिंग ली।

पूनम की संघर्ष की कहानी

पूनम की कामयाबी के पीछे उनकी बड़ी बहन का काफी योगदान है। पूनम को आगे बढ़ाने के लिए, उनकी बहन ने अपने करियर के समझौता कर लिया था। और पैसो की कमी के कारण उन्हें अपनी ट्रेनिंग को बीच में छोड़ पड़ा था। इतना ही नहीं पूनम के परिवार वालों के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपनी बेटी की ट्रेनिंग में आने वाले खर्चे को भार उठा सके। लेकिन इनके परिवार वालों ने अपनी बेटी को फिर भी ट्रेनिंग लेने दी। दरअसल, ट्रेनिंग का खर्चा उठाने के लिए उनके परिवार वालों ने अपने घर का सामान तक बेच दिया था। गोल्ड पदक जीतकर पूनम ने अपने परिवार वालों के साथ साथ अपने देश का नाम रोशन किया है। वहीं जिस तरह से पूनम कॉमनवेल्थ गेम्स में अभी तक का प्रदर्शन रहा है उसको देखकर लगता है कि ये भारत के लिए अभी और भी पदक जीतेंगी।

 

कॉमनवेल्थ में भारत ने मनवाया लोहा, अब तक भारत ने हासिल किए इतने पदक

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