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Farmani Naz: “कला का कोई धर्म नहीं होता”, गाना गाने पर जारी किया फतवा

नई दिल्ली: फरमानी नाज़. एक सिंगर हैं। ये ‘Farmani Naz Singer’ नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाती हैं, जहां अपने गाने अपलोड करती रहती हैं। कुछ गाए हुए गाने और कुछ ओरिजनल। इनके चैनल में 38 लाख से ज़्यादा सबस्क्राइबर्स हैं। फरमानी ने हाल में एक भजन रिलीज़ किया, जिसका नाम ‘हर हर शंभो है। […]

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Farmani Naz: “कला का कोई धर्म नहीं होता”, गाना गाने पर जारी किया फतवा
  • August 1, 2022 8:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: फरमानी नाज़. एक सिंगर हैं। ये ‘Farmani Naz Singer’ नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाती हैं, जहां अपने गाने अपलोड करती रहती हैं। कुछ गाए हुए गाने और कुछ ओरिजनल। इनके चैनल में 38 लाख से ज़्यादा सबस्क्राइबर्स हैं। फरमानी ने हाल में एक भजन रिलीज़ किया, जिसका नाम ‘हर हर शंभो है। इंस्टाग्राम रील्स और कावड़ियों के बीच तो ये गाना ख़ूब वायरल हुआ, लेकिन कुछ लोगों को इससे समस्या है। देवबंद के कुछ मौलानाओं ने एक मुस्लिम महिला के हिंदुओं के भगवान पर भजन बनाने की जमकर आलोचना की है। यहां तक कि उनके खिलाफ फतवा ( इस्लाम से जुड़े किसी मामले पर क़ुरान और हदीस की रोशनी में जो हुक़्म जारी किया जाए) भी जारी कर दिया है।

फरमानी नाज़ के लिए क्या कहा?

देवबंदी उलेमा ने भी अपनी राय दी है कि इस्लाम में किसी भी तरह के संगीत से परहेज़ है। ये इस्लाम के ख़िलाफ़ है। इसलिए फरमानी को इससे माफ़ी मांगनी चाहिए। इस पर फरमानी ने कहा कि वो एक कलाकार हैं और कलाकारों का कोई भी धर्म नहीं होता है। उन्हें हर तरह के गाने गाने पड़ते हैं।

एक और बात फ़तवे के साथ एक भ्रांति है। लोगों को लगता है कि फ़तवा किसी क़िस्म का आदेश है, इस सोच को बढ़ावा देने में मीडिया का बड़ा हाथ है। दरअसल, फ़तवा देवबंद का दारुल इफ़्ता ही जारी कर सकता है। दारुल इफ़्ता एक गवर्निंग बॉडी है, जिसका काम फतवा जारी करना होता है। आपको बता दें, फ़तवा का अर्थ होता है सलाह, जिसे अपने से जारी नहीं किया जाता है। फ़तवा किसी प्रश्न के उत्तर पर जारी किया जाता है।

जैसे इस मामले में मुफ़्ती असद क़ासमी ने कहा- “देखिए, इस सिलसिले में यही कहूंगा कि इस्लाम में शरीयत के अंदर किसी भी तरह के गाना गाना सही नहीं है। मुसलमान होते हुए अगर कोई गाना गाता है, तो ये अपराध है। किसी भी तरीक़े के गाने हों, उनसे बचना चाहिए। वो आगे कहते हैं, फरमानी नाम की महिला ने गाना गाया है, यह शरीयत के ख़िलाफ़ है। मुसलमान होने के बाद भी ऐसे गाने गाना गुनाह है।

 

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