नई दिल्ली : साल 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए अब तेलंगाना सीएम केसीआर (KCR) भी सक्रिय मोड में नज़र आ रहे हैं. बीते शुक्रवार उन्होंने दिल्ली में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की है. बता दें, इस समय देश की सत्ता की बागडोर संभाल रहे पीएम मोदी को अगर कोई […]
नई दिल्ली : साल 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए अब तेलंगाना सीएम केसीआर (KCR) भी सक्रिय मोड में नज़र आ रहे हैं. बीते शुक्रवार उन्होंने दिल्ली में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की है. बता दें, इस समय देश की सत्ता की बागडोर संभाल रहे पीएम मोदी को अगर कोई चुनौती दे रहा है तो उसमें से एक नेता टीआरएस प्रमुख व तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर हैं.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर (KCR) साल 2024 के आम चुनाव को लेकर सक्रिय हैं. मालूम हो कि एक समय था जब मोदी लहर को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विपक्षी खेमे का एक बड़ा चेहरा माना जा रहा था लेकिन वह ज्यादा समय तक टिक नहीं पाईं. वर्तमान समय की बात करें तो यदि विपक्षी खेमे में कोई मोदी खेमे को सीधे चुनौती दे सकता है, तो वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर. पिछले कुछ समय से केसीआर राष्ट्रीय राजनीति में काफी रुचि ले रहे हैं. इस समय वह विपक्षी खेमे को मजबूत करने के लिए बड़ी भूमिका निभाते भी नज़र आ रहे हैं.
देश की सत्ता में इस समय कांग्रेस की स्थिति से बिल्कुल नहीं लगता कि वह मोदी खेमे की राजनीति का काट ढूंढ़ पा रही है. ऐसे में राजनीतिक हालात के अनुसार विपक्षी खेमे में केसीआर ही एक ऐसा नाम हैं जो चुनौती दे सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में भी वह सक्रिय थे और विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए उत्तर भारत की राजनीति में भी अब उनकी सक्रियता दिखाई दे रही है. हालांकि केंद्रीय सत्ता का सफर तय करने के लिए उत्तर प्रदेश में किसी पार्टी को अच्छे अंतर से चुनाव जीतना आवश्यक है. बेशक वह हाल के दिनों में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से दो बार मिल चुके हैं लेकिन वह सूबे में कितना असर दिखाएंगे यह भविष्य के गर्त में है.
लोकसभा चुनाव में सारी राजनीतिक पार्टियों का फोकस उत्तर प्रदेश पर रहता है. इसी कड़ी में अब KCR ने भी उत्तर भारत में अपनी पैठ बनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए केसीआर की गतिविधियां बढ़ गई है. बीते शुक्रवार को वह दिल्ली में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मिले. इस दौरान उनके साथ सपा के राष्ट्रीय महासचिव उनके चाचा रामगोपाल यादव भी थे.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम पर सभी तैयार हो जाएं, ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है. हां! मोदी को हटाने के लिए राहुल जरूर किसी अन्य नेता को लेकर सहमत हो सकते हैं. विपक्षी खेमे की बात करें तो उत्तरप्रदेश में अखिलेश और मायावती की राजनीतिक हैसियत अब पहले जैसी नहीं है. जहां तक बिहार की बात है जब लालू-नीतीश कुच नहीं कर पाये तो तेजस्वी की कौन बात करे.
वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगाकर सीएम ममता बनर्जी ने अपना कद काफी बढ़ाया. दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की बात करें तो उनकी पार्टी ने दो राज्यों में प्रचंड बहुमत हासिल की. दक्षिण भारत की बात करें तो यहां तमिलनाडु के सीएम और DMK नेता एमके स्टालिन, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी विपक्षी खेमे के बड़े दावेदार हो सकते हैं.