नई दिल्ली, मंकीपॉक्स इस समय दुनिया के तमाम देशों में बहुत तेज़ी से फ़ैल रहा है, यह खतरनाक वायरस अब तक विश्व के 75 से ज्यादा देशों में फ़ैल चुका है. अब तक इस वायरस के 16000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. भारत में भी इसके कुछ मामले आ चुके हैं. इस बीच मंकीपॉक्स […]
नई दिल्ली, मंकीपॉक्स इस समय दुनिया के तमाम देशों में बहुत तेज़ी से फ़ैल रहा है, यह खतरनाक वायरस अब तक विश्व के 75 से ज्यादा देशों में फ़ैल चुका है. अब तक इस वायरस के 16000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. भारत में भी इसके कुछ मामले आ चुके हैं. इस बीच मंकीपॉक्स के इलाज के लिए एक वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई यही. यह अनुमति यूरोपियन यूनियन ने दी है, संघ ने बेवेरियन नॉर्डिक नामक कंपनी की ओर से बनाई गई इस वैक्सीन को अपने देशों में इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है. इस वैक्सीन का नाम इमवानेक्स है.
यूरोपियन यूनियन का यह फैसला उसके सभी सदस्य देशों में मान्य होगा. मतलब उसके सभी सदस्य देशों के नागरिक मंकीपॉक्स से बचाव के लिए इमवानेक्स वैक्सीन लगवा सकेंगे.
लक्षणों की बात करें मंकीपॉक्स होने पर आमतौर पर बुखार आता है. इसके अलावा दाने और गांठ के जरिये उभरता है जिस कारण कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. इस रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखाई देते हैं, जो अपने आप दूर हो जाते हैं. लेकिन स्थिति गंभीर होने पर मृत्यु भी हो सकती है. बता दें, इस बीमारी से मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है.
जानवरों (बंदर, गिलहरी, जंगली कृन्तकों) या जानवरों के मांस (जंगली जानवर) के साथ लंबे समय तक संपर्क या संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क में रहने वालों को इसका सबसे ज्यादा खतरा होता है. यह हवा के माध्यम से नहीं फैलता है, लेकिन अगर कोई संक्रमित रोगी (3 घंटे, 2 मीटर के भीतर) के निकट संपर्क में है, तो बड़ी ड्रॉपलेट्स के जरिए उसे ये संक्रमण हो सकता है. मंकीपॉक्स चेचक और छोटी माता से कम संक्रामक है.