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1962 के युद्ध पर बोले राजनाथ सिंह, नेहरू की आलोचना नहीं कर सकता; नीयत गलत नहीं हो सकती

नई दिल्ली, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को करगिल विजय दिवस के मौके पर जम्मू कश्मीर पहुंचे हैं. इस मौके पर उन्होंने उन जवानों की शहादत को याद किया जिन्होंने 1999 के युद्ध में अपनी जान गवा दी थी, जम्मू में शहीदों के परिवारों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, मैं उन […]

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1962 के युद्ध पर बोले राजनाथ सिंह, नेहरू की आलोचना नहीं कर सकता; नीयत गलत नहीं हो सकती
  • July 24, 2022 4:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को करगिल विजय दिवस के मौके पर जम्मू कश्मीर पहुंचे हैं. इस मौके पर उन्होंने उन जवानों की शहादत को याद किया जिन्होंने 1999 के युद्ध में अपनी जान गवा दी थी, जम्मू में शहीदों के परिवारों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, मैं उन सभी जवानों को याद करता हूं जिन्होंने देश की सेवा के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी. हमारी सेना के जवानों ने जब भी जरूरत पड़ी है अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, इसलिए मैं उन सभी जवानों को नमन करता हूं जिन्होंने 1999 के युद्ध में अपना बलिदान दिया.

पंडित नेहरू पर क्या बोले रक्षा मंत्री

इस कार्यक्रम में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी याद किया. पंडित नेहरू का ज़िक्र करते हुए 1962 के युद्ध को याद कर राजनाथ सिंह ने कहा, ‘1962 में चीन ने लद्दाख में हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया था उस वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. उनकी नीयत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, किसी भी प्रधानमंत्री की नीयत में खोट नहीं हो सकता लेकिन यह बात नीतियों पर नहीं लागू होती है, उनकी नीति गलत हो सकती है लेकिन नीयत नहीं. हालांकि अब भारत दुनिया के ताकतवर देशों में से एक है.’

POK पर भी बोले रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आज भारत आत्मनिर्भर हो रहा है और भारत जब बोलता है तो दुनिया सुनती है. उन्होंने कहा, 1962 में हम लोगों को जो नुकसान हुआ उससे हम भलि-भांति परिचित हैं और उस नुकसान की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है. हालांकि अब देश बहुत मजबूत है और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है. उन्होंने पीओके को लेकर भी कहा कि भारत की संसद में इसे लेकर एक प्रस्ताव भी पारित हुआ था, यह क्षेत्र भारत का था और भारत का ही रहेगा. ऐसा नहीं हो सकता कि बाबा अमरनाथ हमारे यहां हों और मां शारदा सीमा के उस पार हों, ऐसा संभव नहीं है.

 

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