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श्रीलंका : भूख ने लगाई आग, प्रदर्शनकारियों ने सरकारी न्यूज चैनल पर किया कब्ज़ा

नई दिल्ली, श्रीलंका में दिन पर दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, राष्ट्रपति राजपक्षे छोड़कर भाग गए हैं, मौजूदा हालात को देखते हुए देश में आपातकाल लगा दिया गया है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भागने के बाद श्रीलंका में आक्रोश की सुनामी और तेज हो गई है. देश में हालात […]

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श्रीलंका : भूख ने लगाई आग, प्रदर्शनकारियों ने सरकारी न्यूज चैनल पर किया कब्ज़ा
  • July 13, 2022 3:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, श्रीलंका में दिन पर दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, राष्ट्रपति राजपक्षे छोड़कर भाग गए हैं, मौजूदा हालात को देखते हुए देश में आपातकाल लगा दिया गया है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भागने के बाद श्रीलंका में आक्रोश की सुनामी और तेज हो गई है. देश में हालात बहुत ज्यादा बिगड़ गए हैं, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्ज़ा कर लिया है. प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए हैं. इतना ही नहीं एक प्रदर्शनकारी वहां न्यूज एंकर की जगह आकर बैठ गया और लाइव आकर देश को संबोधित करने लगा, इसके बाद टीवी चैनल का प्रसारण बंद करना पड़ा.

श्रीलंका आज चार दिन बाद फिर उबाल पर है, राष्ट्रपति गोटाबाया देश छोड़ कर मालदीव चले गए हैं, जिसके बाद श्रीलंका की आक्रोशित जनता सड़कों पर उतर आई है. संसद भवन और पीएम हाउस में घुसने से जब पुलिस ने भीड़ को रोका तो हंगामा मच गया. प्रदर्शनकारियों को डराने-भगाने के लिए हवा में 10-12 राउंड फायर भी की गई लेकिन इसका भी प्रदर्शनकारियों पर कोई असर नहीं पड़ा.

हथियार नहीं उठाने की उम्मीद- हरीम पीरिस

श्रीलंका में विदेश मंत्रालय के पूर्व सलाहकार हरीम पीरिस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास आ रहे थे तब उन पर आंसू गैस के गोले दागे गए। प्रदर्शनकारी अब प्रधानमंत्री के आवास के प्रवेश द्वार की ओर जा रहे हैं, स्पेशल फोर्स, आर्म्ड फोर्स को भी सड़कों पर उतार दिया है। हमें उम्मीद है कि निहत्थे प्रदर्शनकारियों के ऊपर हथियार नहीं उठाएंगे क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो वह क़ानून का घोर उल्लंघन होगा।

इस्तीफा दिए बिना भागे गोटबाया- सांसद पाटली

समागी जाना बालवेगया पार्टी के सांसद पाटली चंपिका रणावाका ने राष्ट्रपति गोटबाया के देश छोड़ने पर कहा कि वे अपना इस्तीफा दिए बिना ही देश से चले गए। स्पीकर और पूरे देश को भरोसा था कि वे अपना इस्तीफा ठीक तरह से देंगे और संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री अन्तरिम राष्ट्रपति होते और हम अगले हफ्ते तक राष्ट्रपति के बचे कार्यकाल के लिए नए राष्ट्रपति का चुनाव 20 जुलाई को संसद में गुप्त मतपत्र के द्वारा कर लेते.

 

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