नई दिल्ली, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का निधन हो गया है, जब वो नारा शहर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, तभी हमलावर ने उन पर दो गोलियां चलाईं थीं. एक गोली उनके सीने के आरपार चली गई, जबकि दूसरी गोली सीधा उनकी गर्दन पर लगी. गोली लगते ही आबे सड़क […]
नई दिल्ली, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का निधन हो गया है, जब वो नारा शहर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, तभी हमलावर ने उन पर दो गोलियां चलाईं थीं. एक गोली उनके सीने के आरपार चली गई, जबकि दूसरी गोली सीधा उनकी गर्दन पर लगी. गोली लगते ही आबे सड़क पर गिर पड़े थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी.
जापानी मीडिया के मुताबिक, शिंजो आबे पर ये हमला शुक्रवार सुबह साढ़े 11 बजे के आसपास हुआ. दरअसल, रविवार को जापान में ऊपरी सदन के चुनाव होने हैं, ऐसे में आबे इसी चुनाव के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे. आबे ने जैसे ही भाषण देना शुरू किया, वैसे ही उनपर पीछे खड़े हमलावर ने गोलियां चला दीं. जापानी पुलिस ने हमलावर को हिरासत में ले लिया है, 41 साल के आरोपी का नाम यामागामी तोत्स्या है.
बताया जा रहा है कि हमलवार तोत्स्या जापान की नेवी में सेवा दे चुका है. हमलावर ने भाषण के दौरान पीछे से शिंजो आबे पर दो बार गोली मारी और भागने के बजाय वहीं खड़ा रहा. पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है. जापानी मीडिया के मुताबिक सुबह करीब 11:30 बजे शिंजो आबे पर ये हमला हुआ. बता दें जापान में आज से 90 साल पहले नेवी के अधिकारियों ने ही प्रधानमंत्री की हत्या कर दी थी. ये हत्या तख्तापलट करने की कोशिश में हुई थी, हालांकि तख्तापलट हो नहीं सका था.
13 दिसंबर 1931 को इनुकाई सुयोशी जापान के प्रधानमंत्री बने थे और प्रधानमंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही लंदन नौसेना के साथ एक संधि हुई थी, जिसमें इंपीरियल जापानी नेवी का साइज सीमित करने पर सहमति बनी थी. इस फैसले से इंपीरियल जापानी नेवी से जुड़े युवा नौसेनिकों में असंतोष बढ़ गया और उन्होंने तख्तापलट के लिए आंदोलन छेड़ दिया.
15 मई 1932 को नेवी के 11 युवा अफसरों ने प्रधानमंत्री आवास में घुसकर इनुकाई सुयोशी की हत्या कर दी थी, हत्या से पहले सुयोशी के आखिरी शब्द थे, ‘मैं अगर बोल सकता, तो तुम समझ जाते’, इस पर हमलावरों ने कहा, ‘अब कोई भी बात करना बेकार है.’
कहा जाता है कि हमलावर चार्ली चैप्लिन की हत्या भी करना चाहते थे, 14 मई 1932 को ही इनुकाई सुयोशी के न्योते पर चैप्लिन जापान आए थे, तब हमलावरों का मानना था कि अगर चैप्लिन की हत्या कर दी जाती है, तो अमेरिका से युद्ध छिड़ जाएगा, जिससे जापान के लोगों में दहशत फ़ैल जाएगा और सत्ता बदलने की मांग होने लगेगी. जिस समय इनोकाई सुयोशी की हत्या हो रही थी, उस समय उनके बेटे इनुकाई ताकेरू चार्ली चैप्लिन के साथ बैठकर सूमो रेसलिंग मैच देख रहे थे, शायद इसी वजह से उस समय चैप्लिन और ताकेरू की जान बच गई.
Shinzo Abe Passes Away: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का निधन, सुबह हुआ था हमला