भारत लाया जाएगा गोल्डी बराड़, रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग

नई दिल्ली, सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में गैंगस्टर गोल्डी बराड़ को भारत लाने की प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू हो सकती है. दरअसल, इसके लिए पंजाब पुलिस ने रेड कॉर्नर नोटिस की मांग की है. बता दें कि गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग की ओर से सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी इसलिए अब […]

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भारत लाया जाएगा गोल्डी बराड़, रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग

Aanchal Pandey

  • June 8, 2022 7:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में गैंगस्टर गोल्डी बराड़ को भारत लाने की प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू हो सकती है. दरअसल, इसके लिए पंजाब पुलिस ने रेड कॉर्नर नोटिस की मांग की है. बता दें कि गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग की ओर से सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी इसलिए अब पंजाब पुलिस गैंगस्टर के प्रत्यर्पण में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

क्या है रेड कॉर्नर नोटिस ?

रेड कॉर्नर नोटिस यानी आरसीएन किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराये गए व्यक्ति के लिए जारी किया जाता है, यह एक तरह से उस व्यक्ति को ढूंढने और उसे अस्थायी रूप से उसकी गिरफ्तारी का अनुरोध है. हालांकि रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने का मतलब ये नहीं है कि वह व्यक्ति दोषी ही है. रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद उस व्यक्ति को अस्थायी रूप से गिरफ्तार किया जा सकता है ताकि उससे मामले में पूछताछ की जा सके.

पहला शूटर सौरभ महाकाल गिरफ्तार

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में पहले शूटर की गिरफ्तारी हुई है. पुणे पुलिस ने सौरभ महाकाल उर्फ़ सिद्धेश को गिरफ्तार किया है.

सिद्धू मूसेवाला की अंतिम अरदास आज

पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की याद में आज अंतिम अरदास रखी गई. जहां सिद्धू के पिता बलकौर सिंह अपने बेटे को याद करते हुए काफी भावुक होते नज़र आये. नम आँखों से बलकौर सिंह ने अपने बेटे को याद किया है.

रो पड़े मूसेवाला के पिता

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उनकी याद में आज आखिरी बार अरदास राखी गई. जहाँ उनके पिता अपने लाडले बेटे से जुड़े किस्से सुनाते नज़र आये. मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने अपने बेटे से जुड़े किस्से सुनाए. उन्होंने बताया कि मेरा बेटा हमेशा से ही एक साधारण और सीधा-सादा बच्चा था. उन्होंने साझा किया कि कैसे वह मूसेवाला को स्कूल ले जाने के लिए दूसरी क्लास से 12वीं तक रोजाना 24 किलोमीटर साइकिल चलाते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके गांव से बस नहीं जाती थी. उन्होंने आगे बताया कि “मेरे पास कोई ज्यादा जमीन भी नहीं थी न ही मेरे पास पैसा था. इसके बावजूद उनके बेटे ने अपनी मेहनत से सब कुछ हासिल किया.”

 

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