आरएसएस के मुखपत्र में छपा, वेद में गौ हत्या पर प्राणदंड का आदेश

बीफ की अफवाह पर यूपी के दादरी में मोहम्मद अखलाक की हत्या के बाद पुरस्कार लौटा रहे साहित्यकारों को कोसते हुए आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य ने दादरी कांड का पक्ष लिया है और लिखा है कि वेद में गाय की हत्या करने वालों को प्राणदंड देने का आदेश है.

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आरएसएस के मुखपत्र में छपा, वेद में गौ हत्या पर प्राणदंड का आदेश

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  • October 18, 2015 3:16 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. बीफ की अफवाह पर यूपी के दादरी में मोहम्मद अखलाक की हत्या के बाद पुरस्कार लौटा रहे साहित्यकारों को कोसते हुए आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य ने दादरी कांड का पक्ष लिया है और लिखा है कि वेद में गाय की हत्या करने वालों को प्राणदंड देने का आदेश है. 
 
आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य के हालिया अंक में ‘इस उत्पात के उस पार’ शीर्षक के साथ प्रकाशित तुफैल चतुर्वेदी के आलेख में कहा गया है कि वेद का आदेश है कि गौ हत्या करने वाले पापी के प्राण ले लो. हम में से बहुतों के लिए यह जीवन मरण का प्रश्न है. तुफैल चतुर्वेदी का असली नाम विनय कृष्ण चतुर्वेदी है जो लफ्ज़ नाम की एक पत्रिका के संपादक हैं.
 
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि यजुर्वेद के 30.18 भाग में लिखा हुआ है कि गाय की हत्या करने वालों को मृत्युदंड दो. उन्होंने कहा कि इतिहास में कई ऐसे उदहारण हैं जब मुस्लिम शासकों ने हिन्दुओं के मुंह में जबरन गौमांस डाल कर उनका धर्म परिवर्तन कराया. 
 
चतुर्वेदी ने कहा कि इस तरह की हरकत करने वाले ज्यादातर भारतीय धर्म परिवर्तन से बने मुसलमान लोग हैं. धर्मांतरित भारतीयों को अपनी जड़ों से नफरत करना और सैकड़ों साल पुरानी परंपराओं को खारिज करना किसने सिखाया? आखिरकार, अखलाक समेत सभी मुस्लिम कुछ पीढ़ी पहले तक हिंदू थे. उसके पूर्वज भी उसी तरह गोरक्षक थे. सामाजिक सद्भाव के लिए जरूरी है कि हम एक दूसरे की आस्थाओं का सम्मान करें. 
 
चतुर्वेदी ने लेख में पुरस्कार लौटा रहे साहित्यकारों पर साधते हुए लिखा है कि ‘आपको अखलाक द्वारा की गई गोहत्या नहीं दिखाई दी.’ चतुर्वेदी ने दावा किया कि यह हत्या गोहत्या के पाप के खिलाफ स्वाभाविक प्रतिक्रिया (नैचुरल रिएक्शन) थी.
 
आर्टिकल के मुताबिक, ‘न्यूटन ने 1687 में किसी भी एक्शन को लेकर होने वाले नैचुरल रिएक्शन की थ्योरी दी थी. आप लोग यह नहीं देख पाए कि ऐसी सोच के साथ समाज में रहने वाला अखलाक इतने भयानक परिणाम देने वाले पाप के लिए उत्सुक कैसे हो गया? अगर आप 80 फीसदी बहुसंख्यकों की भावनाओं का सम्मान नहीं करेंगे, तो इस तरह के रिएक्शंस कैसे रूकेंगे?

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