पटना। काशी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बिहार में भी सियासत गरमा गई है। सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया लेकिन उनके दो मंत्री आमने-सामने आ गए हैं। डिप्टी सीएम रेणु देवी ने कहा है कि सच को दबाया नहीं जा सकता। सच क्या है सामने आना […]
पटना। काशी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बिहार में भी सियासत गरमा गई है। सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया लेकिन उनके दो मंत्री आमने-सामने आ गए हैं। डिप्टी सीएम रेणु देवी ने कहा है कि सच को दबाया नहीं जा सकता। सच क्या है सामने आना चाहिए। वहीं, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जामा खान का कहना है कि ऐसा काम नहीं हो जिससे सदभाव भंग हो।
मंत्री जमां खान ने कहा कि हम संविधान के मुताबिक देश चलाने की बात करते हैं। ऐसे में किसी को भी किसी बात से चोट नहीं पहुंचानी चाहिए। भाईचारा आहत हो, ऐसा काम नहीं करना चाहिए। वहीं डिप्टी सीएम रेणु देवी ने कहा कि अपनी संस्कृति और विरासत को सर्वोच्च शिखर पर ले जाएं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर सुनवाई नहीं होगी।अब इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय कल 3 बजे सुनवाई करेगा। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने आज कहा कि वाराणसी सिविल कोर्ट भी आज इस मामले पर कोई आदेश न दे।
बताया जा रहा है कि हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करने का अनुरोध किया था। दूसरी तरफ वकील तुषार मेहता ने कोर्ट से जल्द से जल्द सुनवाई करने की गुहार लगाई थी। वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि देशभर में इस मामले को लेकर कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं।इसलिए इन सब पर भी आज ही सुनवाई होनी चाहिए। जिसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई शुक्रवार को करने की बात कही।
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कल वाराणसी की जिला अदालत में विवाद से जुड़े दो महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई होनी थी। लेकिन वाराणसी सेशंस कोर्ट के वकीलों के एक दिन की हड़ताल पर जाने की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी थी। अब आज जिला अदालत इस मामले पर सुनवाई करेगी।
खबरों के मुताबिक मुस्लिम पक्ष मस्जिद के वजूखाने को सील किए जाने के सिविल जज के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती नहीं देने वाला है। उनका कहना है कि इस विवाद से जुड़ा एक मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और वहां 19 मई यानि आज सुनवाई होनी है
इसी कारण अब वाराणसी जिला अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जाएगी।