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पाक के नए पीएम शाहबाज का ऐलान: महंगा नहीं होने देंगे आटा, चाहे बेचने पड़े कपड़े

नई दिल्ली। इस साल पाकिस्तान में गेहूं का उत्पादन करीब 30 लाख टन कम रहने का अनुमान है. ऐसे में गेहूं की कीमत में तेज उछाल की संभावना जताई जा रही है. प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा है कि वह किसी भी हाल में आटा महंगा नहीं होने देंगे. भले ही इसके लिए आपको अपने कपड़े […]

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पाक के नए पीएम शाहबाज का ऐलान: महंगा नहीं होने देंगे आटा, चाहे बेचने पड़े कपड़े
  • May 8, 2022 1:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली। इस साल पाकिस्तान में गेहूं का उत्पादन करीब 30 लाख टन कम रहने का अनुमान है. ऐसे में गेहूं की कीमत में तेज उछाल की संभावना जताई जा रही है. प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा है कि वह किसी भी हाल में आटा महंगा नहीं होने देंगे. भले ही इसके लिए आपको अपने कपड़े बेचने पड़े. खैबर पख्तूनख्वा के शांगला जिले की बिशम तहसील में पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) की एक जनसभा को संबोधित करते हुए शरीफ ने सूबे में आटे की कीमतें कम करने का भी संकल्प लिया.

शरीफ ने घोषणा कर कहा है कि वह अच्छी तरह से जानते हैं कि सूबे में आटे की कीमतों को कैसे कम किया जाए. उन्होंने प्रांतीय सरकार को अपने खर्चे पर आटे की कीमतें कम करने का निर्देश दिया. रिपोर्ट के मुताबिक देश के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शनिवार को कहा कि 28.89 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले गेहूं का उत्पादन 26.173 मिलियन टन होने का अनुमान है, जबकि अनुमानित खपत लगभग 30.79 मिलियन टन होगी.

इन वजहों से घटी गेहूं की पैदावार

इस कमी का कारण भूमि, पानी, उर्वरक की कमी और गेहूं की खेती के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा में देरी है. इसके साथ ही तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और सामान्य से पहले हीटवेव का चलना भी इसका कारण है. इन कारणों से उत्पादन में 2 प्रतिशत की कमी आई है. रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी पाकिस्तान में गेहूं की भारी कमी पैदा कर दी है.

पीएम शरीफ ने इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करने की योजना पर काम करने के बजाय, देशद्रोहियों और वफादारों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए. पीटीआई सरकार को इतिहास में सबसे ज्यादा कर्ज मिला था, लेकिन विकास और लोक कल्याणकारी परियोजनाओं में कुछ भी निवेश नहीं किया. उन्होंने कहा कि तेल और गैस की खरीद के लिए समय पर निर्णय नहीं लेने से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था नष्ट हो गई.

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