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जयंती : जूस की दूकान लगाने वाले गुलशन कुमार, कैसे बने भजन सम्राट?

नई दिल्ली, भजन सम्राट कहे जाने वाले गुलशन कुमार की आवाज़ तो आपने भी सुनी ही होगी. हर साल 5 मई के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है. भक्ति में अपनी आवाज़ का जादू भरने वाले गुलशन कुमार के संघर्ष की कहानी आइये आपको बताते हैं. जूस की दूकान चलाते थे गुलशन हर कामयाबी एक […]

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जयंती : जूस की दूकान लगाने वाले गुलशन कुमार, कैसे बने भजन सम्राट?
  • May 5, 2022 4:29 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली, भजन सम्राट कहे जाने वाले गुलशन कुमार की आवाज़ तो आपने भी सुनी ही होगी. हर साल 5 मई के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है. भक्ति में अपनी आवाज़ का जादू भरने वाले गुलशन कुमार के संघर्ष की कहानी आइये आपको बताते हैं.

जूस की दूकान चलाते थे गुलशन

हर कामयाबी एक संघर्ष के रास्ते से होकर गुज़रती है. ऐसे ही भजन सम्राट की कहानी है जो कभी केवल जूस की दूकान पर काम करने वाले गुलशन हुआ करते थे. जी हाँ! गुलशन कुमार का अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहा करते थे. उनका जन्म एक साधारण पंजाबी परिवार में हुआ था. उनका पूरा नाम गुलशन कुमार दुआ है. गुलशन के पिता चंद्रभान दुआ दरियागंज में एक छोटी से जूस की दुकान चलाया करते थे. गुलशन कुमार भी अपने पिता संग इस दूकान में काम किया करते थे. पिता के खुद के बिज़नेस को देखते हुए उन्होंने अपना काम करने की सोची. ये निर्णय लेने के बाद उन्होंने अपने पिता का बिज़नेस छोड़ते हुए दिल्ली में ही कैसेट्स की दुकान खोल ली, वहां वह कम पैसों में गानों की कैसेट्स बेचने लगे.

ऐसे की टी सीरीज की स्थापना

कुछ ही समय में अपने बिज़नेस में कामयाबी मिलने के बाद उन्होंने टी सीरीज की नींव रखी. इसके बाद वह अपनी इस नींव को लेकर मुंबई चले गए. जिसके बाद असल प्रसिद्धि तो उनके पास भजन गायन से ही आई. उनके भजन दिन प्रतिदिन लोगों के दिलों को छूने लगे. जनता के बीच उनके भजन तेज़ी से पसंद किये जाने लगे.

समाज सेवा कर मिसाल कायम की

अपने भजनों से प्रसिद्धि पाने के बाद भी गुलशन कुमार को घमंड छूकर भी नहीं गया. प्रसिद्धि और पैसा कमाने के बाद उन्होंने अपना सामाजिक दायित्व भी निभाया और अपने कमाए पैसों में से समाज सेवा के लिए भी कई कार्य किये. उन्होंने अपने पैसों द्वारा माता वैष्णो देवी के भंडारे की स्थापना भी की. उनके द्वारा स्थापित किया गया भंडारा आज भी लगातार चलता है. इस भंडारे के कारण तीर्थ यात्रियों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जाता है.

गोली मारकर की हत्या

सफलता मिलने के बाद उनके दुश्मनों की संख्या भी बढ़ती गयी. 12 अगस्त 1997 वह काला दिन था जब गुलशन कुमार के दुश्मनों में से किसी एक ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. गोली मारने वाले बदमाश नहीं जानते थे कि जो अमर है उसे कहां ही कोई गोली मार पाएगी . गुलशन कुमार आज भी हर भारतीय के दिल में रहते हैं. भक्ति गीतों को लेकर उनकी आवाज़ का जादू सालों साल तक जाना जाता रहेगा. उनके गाए गाने आज भी हर गली हर शहर में सुनाई देते हैं. बॉलीवुड के लिए उनके द्वारा स्थापित कंपनी वो सहयोग है जिसनें कई दशकों तक हिट की लड़ी लगा कर रखी. साथ ही टी सीरीज ने कई बड़े कलकारों को भी बॉलीवुड से परिचित करवाया.

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