नई दिल्ली: देशभर में भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिल रहा है. पानी के साथ-साथ अब लोगों को बिजली के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. देश में कोयले की कमी के चलते सभी राज्यों में बिजली की कटौती की जा रही है. अभी हाल ही में महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी ने […]
नई दिल्ली: देशभर में भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिल रहा है. पानी के साथ-साथ अब लोगों को बिजली के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. देश में कोयले की कमी के चलते सभी राज्यों में बिजली की कटौती की जा रही है. अभी हाल ही में महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी ने झारखण्ड में हो रहे बिजली कटौती के लिए सरकार से कई सवाल पूछे थे. बिजली कटौती के पीछे कोयले की कमी बताई जा रही है. वहीं सरकार की ओर से ये साफ़ कर दिया गया है कि देश में कोयले की कमी नहीं है और हम इसे जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।
उत्तरप्रदेश-
यूपी में मौसम का तापमान बढ़ने के साथ ही प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत शहरों, जिला मुख्यालयों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक रात और दिन में अघोषित बिजली कटौती से हाल-बेहाल है। बिजली कटौती के चलते लोगों को खासा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. बिजली कटौती की वास्तविक स्थिति सामने न आए इसलिए स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने आपूर्ति की दैनिक रिपोर्ट तक अपनी वेबसाइट से हटा ली है। बता दें कि उत्तप्रदेश में बिजली की मांग 20,000 मेगावाट के आसपास है जबकि उपलब्धता 18000-19000 मेगावाट के बीच चल रही है। बिजली वितरण और
ट्रांसमिशन नेटवर्क के ओवरलोड की वजह से प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है.
उत्तराखंड-
उत्तराखंड में बिजली की सालाना मांग 2468 मेगावाट है. यहां विभिन परियोजनाओं के तहत 5211 मेगावाट बिजली पैदा की जाती है, लेकिन राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली ही मिलती है। प्रदेश में लोगों को हो रही मुश्किलों के चलते सीएम के आदेश के बाद खुद यूपीसीएल ने भी स्वीकार किया है कि वह एक सप्ताह में कटौती को नियंत्रण में लाएगा।
राजस्थान-
राजस्थान में भी कोयला संकट गहराते जा रहा है. यहां गर्मी में बिजली की मांग करीब 31 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. कोयले की मात्रा प्राप्त न होने की वजह से यहां बिजली कटौती में इज़ाफ़ा हो रहा है और प्रदेशवासियों की परेशानी बढ़ रही है। लोगों की बिजली की जरूत को पूरा करने के लिए 27 रैक की रोज जरूरत होती है, जबकि 18 से 20 ही यहां मिल रहे है. ख़बरों के मुताबिक यहां आने वाले दिनों में बिजली की कटौती और बढ़ सकती है क्योंकि कोयले का स्टॉक दिन-प्रतिदिन कम हो रहा है.
मध्यप्रदेश-
मध्यप्रदेश में बिजली की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. कोयले की कमी की वजह से पावर सप्लाई में रोजाना घंटो कटौती की जा रही है. प्रदेश में कोयले की कमी और बिजली संकट को लेकर सियासी घमासान भी तेज हो चुका है। मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की ओर से सरकार का बचाव करते हुए कहा गया कि कुछ परेशानियां हैं जिनका समाधान हम युद्ध स्तर पर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कोयले की कोई कमी नहीं है, गर्मी अधिक बढ़ गई है ऐसे में बिजली की मांग भी बढ़ी है तो उत्पादन भी बढ़ाने की आवश्यकता है।
हरियाणा-पंजाब-
हरियाणा में बिजली संकट के चलते कारोबारी और उद्योगपतियों को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि उन्हें उत्पादन के लिए जनरेटर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है जिससे उनकी खपत और भी बढ़ गई है. हालांकि बिजली विभाग ने पहले ही बता दिया था कि प्रदेश में कब-कब बिजली काटी जाएगी। यहीं हाल पंजाब का है जहां सरकार बिजली को काट कर धान की कटाई में उसका इस्तेमाल कर रही है. इसके चलते लोगों की नींद उड़ी हुई है. इसके साथ ही प्रदेश के कई थर्मल प्लांट कोयले की भारी कमी से जूझ रहे हैं।
बिजली संकट पर रविवार को कोयला सचिव एके जैन ने कहा कि कोयले के चलते बिजली संकट पैदा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इस बिजली संकट की प्रमुख वजह विभिन्न ईंधन स्त्रोतों से होने वाले बिजली उत्पादन में आई बड़ी गिरावट है। उन्होंने कहा कि ताप-विद्युत संयंत्रों के पास कोयले का कम स्टॉक होने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। कोविड-19 के प्रकोप में कमी आने के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आई और बिजली की मांग बढ़ी, इसके अलावा इस साल जल्दी गर्मी शुरू हो जाना, गैस और आयातित कोयले की कीमतों में वृद्धि होना और तटीय ताप विद्युत संयंत्रों के बिजली उत्पादन का तेजी से गिरना जैसे कारक बिजली संकट के लिए जिम्मेदार हैं।