नई दिल्ली, भारत में तेल की कीमतें लगतार बढ़ती ही जा रही हैं. जहां भारत अपनी तेल की खपत को पूरा करने के लिए बाहरी देशों पर निर्भर है. भारत में करीब 85 प्रतिशत तेल आयात किया जाता है. बढ़ा भारत का बिल भारत के तेल भंडार पर एक और बोझ बढ़ने जा रहा है. […]
नई दिल्ली, भारत में तेल की कीमतें लगतार बढ़ती ही जा रही हैं. जहां भारत अपनी तेल की खपत को पूरा करने के लिए बाहरी देशों पर निर्भर है. भारत में करीब 85 प्रतिशत तेल आयात किया जाता है.
भारत के तेल भंडार पर एक और बोझ बढ़ने जा रहा है. जहां 31 मार्च को ख़त्म हुए वित्तीय साल में भारत का तेल आयात का बिल दोगुना हो चुका है. जहां ये बिल 62 अरब डॉलर से सीधा 19 अरब डॉलर पहुंच चुका है. इसके पीछे मुख्य कारण यूक्रेन और रूस का युद्ध बताया जा रहा है. जहां पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल द्वारा जारी किये गए आंकड़ों में ये बताया गया है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल की खपत करने वाला और तेल का आयात करने वाला देश है.
भारत ने तेल की खरीद पर अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 119 अरब डॉलर खर्च किये हैं. जहां पिछले साल ये व्यय लगभग आधा था. वहीं दूसरी ओर भारत में तेल की कीमतों में उछाल की बात करें तो मार्च महीने में तेल की क़ीमतें 14 साल में सबसे अधिक दर्ज़ की गयीं थीं. बावजूद इसके भारत ने इस महीने में तेल आयात पर 13.7 अरब डॉलर ख़र्च किए. इस साल के मार्च की तुलना मार्च 2021 से की जाए, तो उस समय ये खर्च 8.4 अरब डॉलर था. साल की शुरुआत में ही जनवरी से ही तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है. जनवरी से मार्च महीने में तेल की कीमतें 140 डॉलर प्रति बैरल को पार गईं. इसके बाद क़ीमतों में कमी आई हैं. फ़िलहाल कच्चे तेल की क़ीमत 106 डॉलर प्रति बैरल है.
इंडोनेशिया से पाम ऑइल के बैन की खबर ने देश में खाद्य तेल की बढ़ती चिंताओं को और भी बढ़ा दिया है. जहां भारत में पिछले दो हफ़्तों से लगातार इन कीमतों में बढ़ोतरी देखी गयी थी. अब इसके और महंगे होने की संभावना है. खाद्य मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने जो आंकड़े साझा किये हैं उनके मुताबिक, वनस्पति पैक्ड की डेली रिटेल प्राइस दो हफ्तों, 10 अप्रैल से 24 अप्रैल, 2022 के बीच 13 रुपये से बढ़कर 16 रुपये प्रति किलोग्राम हो चुकी है.
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