जयपुर. दादरी में बीफ की अफवाह पर एक अल्पसंख्यक की हत्या के बाद अब तक 24 साहित्यकारों द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के बाद अब जयपुर के चर्चित राजस्थानी एवं हिंदी लेखक आनंद भारद्वाज ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है.
साहित्य अकादमी को लिखा पत्र
साहित्य अकादमी को 13 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में भारद्वाज ने कहा कि लेखकों और सुशिक्षित समाज में कट्टरपंथी सांप्रदायिक ताकतों द्वारा की गई हत्या और उनके (लेखकों) साथ खड़े होने में साहित्य अकादमी की नाकामी के खिलाफ चिंताएं बढ़ती जा रही हैं.
इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘मैं उन लेखकों की सराहना करता हूं, जिन्होंने पुरस्कार लौटा दिए हैं. मैं भी अपना पुरस्कार लौटाना चाहता हूं, जो मैंने अपने राजस्थानी उपन्यास ‘समही खुलतो मारग’ के लिए 2004 में जीता था.’ आनंद ने 50,000 रुपये की पुरस्कार राशि भी लौटा दी है.
दलीप कौर तिवाना ने पद्मश्री सम्मान लौटाया
पंजाबी लेखिका दलीप कौर तिवाना ने खराब सांप्रदायिक माहौल पर दुख जताते हुए अपना पद्मश्री सम्मान लौटा दिया है. तिवाना ने अपने बयान में कहा है कि “गुरुनानक देव और गौतम बुद्ध की इस धरती पर 1984 में सिखों के साथ और हाल में मुसलमानों के साथ बढ़ती सांप्रदायिकता के कारण हो रहे अत्याचार समाज और देश के लिए शर्मनाक हैं. सच और न्याय के लिए खड़े होने वालों की हत्या हमें ईश्वर और दुनिया के सामने शर्मसार कर रहे हैं. इसलिए मैं विरोध में पद्मश्री अवार्ड लौटा रही हूं.”
नयनतारा सहगल ने की थी पुरस्कार लौटाने की शुरुआत
दादरी में मोहम्मद अखलाक की हत्या के बाद सबसे पहले साहित्यकार नयनतारा सहगल ने इस तरह की घटनाओं को रोकने में सरकार की नाकामी के खिलाफ साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया था. नयनतारा सहगल देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की भंगिनी हैं.
उनके बाद अशोक वाजपेयी, उदय प्रकाश, के. सच्चिदानंद, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी, सारा जोसेफ समेत अब तक 24 साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी को पुरस्कार लौटा दिया है.
सांप्रदायिक माहौल की वजह से साहित्य अकादमी पुरस्कारों की वापसी के सिलसिले के बीच दिलीप कौर तिवाना पहली साहित्यकार हैं जिन्होंने अब पद्मश्री अवार्ड लौटा दिया है.
IANS से भी इनपुट