नई दिल्ली, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध कब खत्म होगा इसको लेकर सभी सोच में पड़े हुए है. अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए है, लेकिन इसके बावजूद भी रूस रुकने का नाम नहीं ले रहा है. राष्ट्रपति पुतिन लगातार यूक्रेन पर हमलावर है. सभी को लग […]
नई दिल्ली, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध कब खत्म होगा इसको लेकर सभी सोच में पड़े हुए है. अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए है, लेकिन इसके बावजूद भी रूस रुकने का नाम नहीं ले रहा है. राष्ट्रपति पुतिन लगातार यूक्रेन पर हमलावर है. सभी को लग रहा है कि यूक्रेन इस युद्ध में रूस से हार जायेगा या फिर खुद अपने हथियार डाल देगा। लेकिन इस बीच रूस को यूक्रेन का J फैक्टर सता रहा है और वो इससे डरा हुआ है.
जे का अर्थ है जेवलिन अमेरिकी मिसाइल। जबसे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है तब से तमाम पश्चिमी देश यूक्रेन को अलग-अलग रूप में सहायता दे चुके है. अमेरिका ने भी यूक्रेन को 10 करोड़ की मदद का ऐलान किया है साथ ही उसे जेवलिन हथियार भी मुहैया कराएं हुए है. यहां आपको बता दें कि नाटो और अमेरिका रूस के साथ सीधी लड़ाई लड़ना नहीं चाहते है, लेकिन वे यूक्रेन को हथियार देकर इस बात का सन्देश दे रहे है कि वे इस युद्ध में रूस के खिलाफ है. यूक्रेन को जेवलिन हथियार मिलने से उसे तकनीकी स्तर पर मजबूती मिली है और वो रूस के खिलाफ डटकर खड़ा हुआ है.
अमेरिका द्वारा दी गई इस मिसाइल के जरिए यूक्रेनी सेना ने रूस पर जमकर कहर बरपाया है. सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा दी गई इस मिसाइल के जरिये यूक्रेन ने रूस के कई टैंकों और तोपखाने को तबाह किया है. रूसी सैनिक जैसे-जैसे खारकीव की तरफ बढ़ रहे है वैसे-वैसे यूक्रेनी सैनिकों ने इसका इस्तेमाल बड़ा दिया है. यूक्रेन जिस तरह जेवलिन का इस्तेमाल कर रहा है उससे ऐसा लगता है कि रूसी सैनिक जल्द तबाह हो जाएगी।
जेवलिन मिसाइल अमेरिकी निर्मित एक एंटी टैंक मिसाइल है. ये मिसाइल हल्की होने की वजह से इसे सैनिक कंधे पर रखकर आराम से चला सकते है. जानकारी के मुताबिक इस मिसाइल का वजन 11 से 22 किलोग्राम के बीच में है. इस मिसाइल में डे-नाईट विजन होता है जो दुश्मन का पीछा करते हुए उसे मार गिराती है. इसकी यही खासियत की वजह से अमेरिका ने इसे यूक्रेन को दिया है. इस मिसाइल का इस्तेमाल मुख्य रूप से 2 चीजों के लिए किया जाता है. ड्रोन या कम ऊंचाई वाले लड़ाकू विमान को मार गिराने में, जबकि दूसरा जमीनी लड़ाई में टैंक, या बख्तरबंद गाडियों को निशाना बनाने में. ये हथियार छोटा पैकेट बड़ा धमाका है.