Sri Lanka Crisis: नई दिल्ली, भीषण आर्थिक संकट (Sri Lanka Crisis) और देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) ने मंगलवार अर्द्धरात्रि को देश से आपातकाल हटाने का ऐलान कर दिया है. पूरी कैबिनेट के इस्तीफे के बाद नियुक्त हुए नए वित्त मंत्री अल साबरी ने […]
नई दिल्ली, भीषण आर्थिक संकट (Sri Lanka Crisis) और देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) ने मंगलवार अर्द्धरात्रि को देश से आपातकाल हटाने का ऐलान कर दिया है. पूरी कैबिनेट के इस्तीफे के बाद नियुक्त हुए नए वित्त मंत्री अल साबरी ने भी महज 24 घंटे के अंदर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. बताया जा रहा है कि श्रीलंका में सत्ताधारी महिंद्रा सरकार के 50 से अधिक सांसदों ने सरकार से किनारा कर लिया है, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई है. यहीं वजह है कि राष्ट्रपति गोटबाया ने 5 दिन के भीतर ही आपातकाल हटाने की घोषणा कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो राष्ट्रपति गोटबाया अपने भाई महिंद्रा को हटाकर किसी नए प्रधानमंत्री को नियुक्त कर सकते है।
दो दिन पहले नियुक्त हुए नए वित्त मंत्री अली साबरी (Ali Sabri) ने अपने पद से 24 घंटे के अंदर ही इस्तीफा दे दिया है. साबरी के इस्तीफे की वजह जनता के भारी विरोध प्रदर्शन को माना जा रहा है. बता दे कि देश में आपातकाल की घोसणा के बाद भारी विरोध प्रदर्शन और बढ़ते आर्थिक संकट को देखते हुए महिंद्रा सरकार की पूरी कैबिनेट ने दो दिनों पहले इस्तीफा दे दिया था, इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में प्रधानमंत्री महिंद्रा के बेटे नमल राजपक्षे का भी नाम शामिल था. हालांकि महिंद्रा राजपक्षे अपने पद बने हुए है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो राष्ट्रपति गोटबाया अपने भाई और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे (Mahindra Rajapakse) की कुर्सी छीनकर उनके स्थान पर नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति कर सकते है. जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री महिंद्रा और उनके बेटे नमल (Namal Rajapakse) दोनो नई बनने वाली श्रीलंका की सरकार से पूरी तरह बाहर रहने वाले है।
बताया जा रहा है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति सर्वदलीय सरकार (All Party Government) बनाने के पक्ष में है. इसके लिए प्रयास भी शुरू हो चुका है. राजपक्षे परिवार के पास अब सत्ता में बने रहने के लिए सर्वदलीय सरकार के आलावा कोई रास्ता नहीं बचा है, उनके 50 से अधिक सांसद सरकार से किनारा कर चुके है. इसीलिए अब उम्मीद जताई जा रही है कि कुछ ही दिनों में पक्ष और विपक्ष से मिलकर बनी एक नई सरकार श्रीलंका की सत्ता पर काबिज दिखेगी।