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जांच : प्रतिस्पर्धा आयोग ने दिये ज़ोमैटो और स्विगी के खिलाफ जांच के आदेश, ये हैं आरोप

जांच नई दिल्ली, ज़ोमैटो और स्विगी भारत में फ़ूड डिलीवरी के क्षेत्र में कुल 95 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है. हाल ही इन फ़ूड डिलीवरी कंपनियों का चलन ज़्यादा बढ़ गया था. अब इन दोनों के खिलाफ जांच के आदेश जारी किये जा चुके हैं. रेस्तरां कारोबार का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन […]

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  • April 5, 2022 8:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

जांच

नई दिल्ली, ज़ोमैटो और स्विगी भारत में फ़ूड डिलीवरी के क्षेत्र में कुल 95 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है. हाल ही इन फ़ूड डिलीवरी कंपनियों का चलन ज़्यादा बढ़ गया था. अब इन दोनों के खिलाफ जांच के आदेश जारी किये जा चुके हैं.

रेस्तरां कारोबार का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया’ (एनआरएआई) ने पिछले साल के जुलाई में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में इन दोनों कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज़ की गयी थी. इसी कड़ी में अब जांच के आदेश दिए जा चुकी है. ये जांच के आदेश प्रतिस्पर्धा विरोधी व्यवहार को लेकर दिए गए हैं. दोनों कंपनियों के ऊपर रेस्टोरेंट भागीदारों के साथ मिकर अनुचित तरीके से व्यवहार करने का आरोप है.

किन मामलों में होगी जांच

इस मामले को लेकर एनआरएआई ने पिछले साल जुलाई में विभिन्न आरोप लगाए थे. अब 4 जुलाई को प्रतिस्पर्धा आयोग ने पेमेंट साइकिल में देरी, एकतरफा क्लॉज और कमीशन लगाने को लेकर जांच के आयोग दिए हैं. निष्पक्ष ट्रेड रेगुलेटर द्वारा महानिदेशक को जांच के आदेश दिए गए हैं. साथ ही इस जांच में अगले 60 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश भी दिया गया है.

रेस्टोरेंट के लिए बन रहे हैं बाधा

प्रतिस्पर्धा आयोग का ये आरोप है कि ये दोनों फ़ूड डिलीवरी कंपनियां अपनी बाजार हिस्सेदारी या राजस्व हितों वाले रेस्टोरेंट भागीदारों को ज़्यादा महत्त्व देती हैं. इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है. सीसीआई का कहना है कि उनके ये नियम ‘मूल्य समानता उपनियम’ की ओर इशारा करते हैं. बता दें इन नियमों के तहत कोई भी रेस्टोरेंट भागीदारी अपने माध्यम से काम दामों में फ़ूड की डिलीवरी नहीं कर सकती.

ज़्यादा कमीशन का भी है आरोप

डाटा मास्किंग, डीप डिस्काउंटिंग और प्लेटफॉर्म न्यूट्रैलिटी के उल्लंघन को लेकर भी पिछले साल जोमैटो और स्विगी पर आरोप लगाए गये हैं. आरोप है की महामारी के दौरान इन कंपनियों ने आपस में प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं को लेकर चिंताएं बढ़ाई हैं. साथ ही उनपर आरोप ये भी है कि फ़ूड डिलीवरी कंपनीज रेस्टोरेंट से ज़रुरत से ज़्यादा का कमीशन लेती हैं.

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