Non hindu Dancer Barred नई दिल्ली, Non hindu Dancer Barred मशहूर क्लासिकल डांसर वीपी मानसिया का बीते दिनों किया गया दावा आपको भी हिला कर रख देगा. उन्होंने कूडलमणिक्यम मंदिर पर आरोप लगाते हुए बताया कि कैसे उन्हें गैर हिन्दू होने की वजह नृत्य प्रस्तुति के लिए रोक दिया गया था. मांगे हिन्दू होने के […]
नई दिल्ली, Non hindu Dancer Barred मशहूर क्लासिकल डांसर वीपी मानसिया का बीते दिनों किया गया दावा आपको भी हिला कर रख देगा. उन्होंने कूडलमणिक्यम मंदिर पर आरोप लगाते हुए बताया कि कैसे उन्हें गैर हिन्दू होने की वजह नृत्य प्रस्तुति के लिए रोक दिया गया था.
केरल के थिसुर में स्थित कूडलमणिक्यम मंदिर पर बीते सोमवार नृत्यांगना मानसिया द्वारा एक हैरान कर देने वाला आरोप लगाया गया. जहां उन्होंने दावा किया कि गैर हिन्दू होने के कारण उन्हें नृत्य प्रस्तुति से रोक दिया गया. केरल के मंदिर विभाग ने उनसे उनके हिन्दू होने के दास्तावेज की मांग की थी. उनकी ये प्रस्तुति 21 मार्च के दिन होने वाली थी.
भरनाट्यम डांस मानसिया ने हमेशा से अपनी कला को लेकर मुस्लिम समाज से आलोचना का सामना किया. उनके परिवार को मल्लपुरम से कई कट्टरपंथी समुदायों ने धमकियां भी दी हैं. बता दें उनके बड़े भाई वी पी राबिया भी एक क्लासिकल नृतक ही हैं. दोनों भाई बहन की कला के बारे में कई मीडिया हाउस ने छापा भी लेकिन दोनों को महल कमेटी से भी निकाल दिया गया. दोनों का बहिष्कार होने लगा जिसे झेलने के बाद भी अपनी कला के प्रति इनकी श्रद्धा ज़रा भी नहीं डगमगाई. अपने इस संघर्ष पर वह बताती हैं कि हम बहुत पहले ही इस धर्म से निकल चुके हैं. हालांकी कोई धर्म का ठप्पा लगवाना है कि नहीं इसपर हम अभी कुछ नहीं कहना चाहते. मेरा कोई धर्म नहीं है. ऐसा प्रतीत होता है कि बिना इस बाधा के जीवित रहना संभव ही नहीं है.
मानसिया बताती हैं कि पहले भी उनके मज़हब को लेकर उनके आसपास कई लोगों ने उन्हें प्रस्तुति के लिए रोका है. इस सिलसिले में उन्होंने गुरुवायुर के श्रीकृष्ण मंदिर पर भी यही आरोप लगाया. अपनी कला पर लगे इन प्रतिबंधों पर वह बताती हैं कि एक कलाकार बहुत पहले ही इन सभी बाधाओं से बाहर निकल चुका होता है.
कूडलमणिक्यम मंदिर के बोर्ड चेयरमैन प्रदीप मेनन ने इस मामले में बात करते हुए कहा, वह एक मशहूर नृत्यांगना हैं. लेकिन हमारे मंदिर के नियम केवल एक हिन्दू को ही मंदिर में प्रस्तुति करने की अनुमति देते हैं. बता दें, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा और अन्य एक्टिविस्ट्स द्वारा मंदिर बोर्ड के इस फैसले की निंदा भी की जा चुकी है.