Minority Status For Hindus: नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक (Minority Status for Hindus) घोषित करने की मांग की है. रविवार को एक हलफनामों में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भारत के 9 राज्यों में राज्य सरकारें हिंदुओं को अल्पसंख्यक […]
नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक (Minority Status for Hindus) घोषित करने की मांग की है. रविवार को एक हलफनामों में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भारत के 9 राज्यों में राज्य सरकारें हिंदुओं को अल्पसंख्यक वर्ग की पहचान के लिए निर्देश जारी कर सकती है।
बता दे अधिवक्ता अश्विनी कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के विभिन्न राज्यों में हिंदुओं की आबादी अल्पसंख्यक है. इसी वजह से उन्हें वहां अल्पसंख्यक वर्ग की पहचान मिले. उन्होंने कहा कि आज देश के नौ राज्यों में हिंदू और यहूदी अल्पसंख्यक है और वे उन राज्यों में अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और संचालन नहीं कर सकते है. ये साफतौर पर अतार्किक है. उपाध्याय ने राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती देते हुए कहा कि ये अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर थोपी हुई, मनमानी और आहत करने वाली है।
याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार की याचिका का जवाब देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने कहा कि राज्यों के पास हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का अधिकार है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामें में महाराष्ट्र सरकार के एक फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने भी 2016 में यहूदियों ( Jews) को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा दिया था. सरकार ने आगे कहा कि उन राज्यों में जहां हिंदू और यहूदी धर्म को मानने वाले लोग अल्पसंख्यक है. वहां वो अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान की स्थापना नहीं कर सकते ये सही नहीं है।
गौरतलब है कि मणिपुर, मेघालय ,अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, लक्ष्यद्वीप, लद्दाख, जम्मू कश्मीर, मिजोरम और नागालैंड में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग अल्पसंख्यक है. इन्ही राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक वर्ग घोषित करने के लिए पिछले कई सालों से लगातार मांग उठती रही है।