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Russia Ukraine conflict : यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में फंसे 50 कर्मचारी निकाले गए, 36 साल पहले हुई थी भीषण परमाणु दुर्घटना

Russia Ukraine conflict नई दिल्ली, Russia Ukraine conflict चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के प्रबंधक ने बीते रविवार को रूसी सेना द्वारा संयंत्र पर कब्जा किए जाने के बाद से वहां तैनात 50 कर्मचारियों को बदलने की जानकारी दी. बता दें कि ये संयंत्र यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. […]

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Russia Ukraine conflict : यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में फंसे 50 कर्मचारी निकाले गए, 36 साल पहले हुई थी भीषण परमाणु दुर्घटना
  • March 21, 2022 8:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Russia Ukraine conflict

नई दिल्ली, Russia Ukraine conflict चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के प्रबंधक ने बीते रविवार को रूसी सेना द्वारा संयंत्र पर कब्जा किए जाने के बाद से वहां तैनात 50 कर्मचारियों को बदलने की जानकारी दी. बता दें कि ये संयंत्र यूक्रेन की राजधानी कीव से करीब 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

बदले गए करीब 50 कर्मचारी

रूस के यूक्रेन पर किये गए हमले के बाद यूक्रेन के परमाणु संयंत्र चेर्नोबिल पर भी रूसी सेना ने कब्ज़ा कर लिया था. चेर्नोबिल में तैनात लगभग 50 कर्मचारी इस बीच बिना किसी ब्रेक के लगातार काम कर रहे थे. अधिकारी भी वहां लगातार ये चिंता जता रहे थे कि कर्मचारियों को बिना किसी ब्रेक के लगातार काम करवाया जा रहा है. इसको लेकर किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने की संभावना बढ़ गयी थी. बुरी तरह से थक चुके हैं और निष्क्रिय कर्मचारियों से संयंत्र की क्षमता कमज़ोर पड़ रही थी.

रूसी सेना का था खतरा

अब इस मामले में प्रबंधन के अधिकारी ने बीते रविवार को साफ़ कर दिया है कि कार्यरत 50 कर्मचारियों को 24 फरवरी के दिन छुट्टी दे दी गयी है. हालांकि इसका फैसला कैसे लिया गया इसपर अब तक कोई जानकारी नहीं है. बताते चलें कि पिछले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इसकी जानकारी दी थी कि रूसी सेना ने चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र पर कब्जा करने की कोशिश की है. जिसके बाद से वहां सुरक्षा बढ़ा दी गयी थी.

दुनिया की सबसे भयावह परमाणु दुर्घटना

यूक्रेन में स्थित चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र साल 1986 में आज तक की सबसे ज़्यादा भयावह परमाणु दुर्घटना का शिकार हो चुका है. जहां चेर्नोबिल में चौथे रिएक्टर में विस्फोट के बाद पूरे यूरोप में रेडियोधर्मी विकिरण फ़ैल गया था. इस विकिरण का असर इतना अधिक था की इसका प्रभाव अमेरिका तक होने लगा था. ये प्रभाव कम करने के लिए उस समय इसे एक सुरक्षात्मक उपकरण से ढका गया था और पूरे संयंत्र को निष्क्रिय कर दिया गया था.

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