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Bappi Lahiri : बॉलीवुड को डिस्को म्यूजिक बप्पी दा ने ही सिखाया था, इन गानों पर लोग हुए थे दीवाने

Bappi Lahiri  नई दिल्ली, Bappi Lahiri  बॉलीवुड में डिस्को कल्चर को एक अलग स्तर पर लेकर जाने वाले बप्पी लाहिरी को उनके पश्चिमी संगीत और फ़िल्मी गानों के मिश्रण ने जो नए डिस्को थेक का निर्माण किया वो सदियों तक याद रखा जाएगा. अपने संगीत के चलते बप्पी की हुई आलोचना संगीत के नए ट्रेंड […]

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Bappi Lahiri : बॉलीवुड को डिस्को म्यूजिक बप्पी दा ने ही सिखाया था, इन गानों पर लोग हुए थे दीवाने
  • February 16, 2022 3:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Bappi Lahiri 

नई दिल्ली, Bappi Lahiri  बॉलीवुड में डिस्को कल्चर को एक अलग स्तर पर लेकर जाने वाले बप्पी लाहिरी को उनके पश्चिमी संगीत और फ़िल्मी गानों के मिश्रण ने जो नए डिस्को थेक का निर्माण किया वो सदियों तक याद रखा जाएगा.

अपने संगीत के चलते बप्पी की हुई आलोचना

संगीत के नए ट्रेंड को स्टार्ट करने वाले बप्पी दा को शुरुआती दौर में उनके म्यूजिक के लिए कई आलोचकों का सामना करना पड़ा था. उनके संगीत का सफर कैरियोके के दौर में शुरू हुआ था. जहां संगीत प्रेमियों ने उनके संगीत और कला को खूब सराहा. और बप्पी दा को उनकी पहचान मिली. फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें उनके विख्यात म्यूजिक टेस्ट के लिए, डिस्को किंग के नाम से जाना जाने लगा. पर इसकी शुरुआत बप्पी के बचपन से ही हुई.

मां-बाप से भेट में मिली संगीत की कला

बप्पी लाहिरी का असल नाम आलोकेश लाहिरी था. उनका जन्म 27 नवंबर 1952 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुआ. उनके पिता एक बंगाली गायक थे. उनकी मां वनसरी लाहिरी एक संगीतकार के साथ-साथ गायिका भी थी. माता-पिता के संगीत के रुझान को देखते हुए बचपन से ही बप्पी एक संगीत प्रेमी रहे. संगीत के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय नाम कमाने का सपना बप्पी ने बालपन से ही देखा था. संगीत को लेकर जूनून इस कदर था कि महज़ तीन वर्ष की उम्र में ही बप्पी लाहिरी ने तबला बजाना शुरू भी कर दिया.

शुरआती फिल्म रही नाकामयाब

बप्पी लाहिरी ने अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत साल 1972 में बंग्ला फिल्म ‘दादू’ से की. ये फिल्म टिकट घरों में ज़्यादा चल न सकी. बप्पी के सपने कहां छोटे शहरों में सिमट कर रहने वाले थे. उन्होंने कुछ बड़ा करने के लिए मायानगरी मुंबई का रुख किया. उन्होंने अगला संगीत वर्ष 1973 की फिल्म नन्हा शिकारी को दिया पर बद्किस्मती से ये फिल्म भी नहीं चल सकी. पर जल्द ही उनकी किस्मत चमकने वाली थी.

जख़्मी फिल्म ने चमकाया बप्पी का सितारा

सुनील दत्त आशा पारेख, रीना रॉय और राकेश रौशन की अहम भूमिका वाली फिल्म जख्मी से बप्पी की किस्मत का सितारा चमका. 1975 में आयी ये फिल्म ‘आओ तुम्हे चांद पे ले जाए’ और ‘जलता है, जिया मेरा भीगी भीगी रातो में’ गानों के लिए भी जानी जाने लगी. बप्पी के सपनों को अभी तो एक पुश ही मिला था. अगले साल 1976 में बप्पी दा के संगीत निर्देशन में बनी फिल्म चलते चलते पर्दे पर धमाल कर गयी. इस फिल्म के गाने चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना को किशोर कुमार ने अपनी आवाज़ दी जो आज के दौर में भी काफी लोगों की पसंद बने हुए है.

80 का दशक था बप्पी के नाम

80 के दशक को बप्पी दा के संगीत का ही दशक कहा जाता है. ,अमिताभ बच्चन की फिल्म नमक हलाल उनके करियर के लिए एक बड़ी छलांग साबित हुई. जिसमें दिए हुए उनके गीत पग घूंघरू बांध मीरा नाची थी को आज तक सुना जाता है. पर इस दशक में जो फिल्म बप्पी लाहिरी के लिए मील का पत्थर साबित हुई वह है, डिस्को डांसर. 1983 में मिथुन चक्रवर्ती की भूमिका वाली इस फिल्म में बप्पी दा के संगीत का एक अलग ही रूप देखने को मिला. जहां आइ.एम.ए डिस्को डांसर, जिमी जिमी जिमी आजा आजा जैसे गानों ने दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी. 1984 में बप्पी दा ने एक बार फिर अमिताभ बच्चन की फिल्म को अपना म्यूजिक दिया. जहां बिग बी की फिल्म शराबी में उनके ‘दे दे प्यार दे’, ‘मंजिले अपनी जगह है’ गानों ने एक अलग हिट रिकॉर्ड दर्ज़ किया.

म्यूजिक को किया सम्मानित तो मिले कई सम्मान

बप्पी लाहिरी को उनके गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. हालाँकि नब्बे का दशक उनके गीतों की सफलता के लिहाज़ से उतना ख़ास नहीं रहा पर फिर भी उनके लोकप्रिय गीत सभी की जुबां पर दशकों तक रहेंगे और बप्पी दा का दर्ज़ा म्यूजिक इंडस्ट्री में डिस्को म्यूजिक के लिए हमेशा ऊपर ही रहेगा. उनके द्वारा गाये गए गीतों की लम्बी लिस्ट है, जहां उनके कुछ ऐसे गीत बंबई से आया मेरा दोस्त, देखा है मैने तुझे फिर से पलट के, तू मुझे जान से भी प्यारा है, याद आ रहा है तेरा प्यार, सुपर डांसर आये है आये है, जीना भी क्या है जीना, यार बिना चैन कहां रे, तम्मा तम्मा लोगे, प्यार कभी कम मत करना, दिल में हो तुम ख्वाबो में तुम, उलाला उलाला हैं.

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