Hijab Row Hearing: बेंगलुरु, Hijab Row Hearing: कर्नाटक के उड्डपि के एक कॉलेज से लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर शुरू हुआ विवाद धीरे-धीरे पूरे कर्नाटक में फैल गया है और पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को भी गरमा दिया है. यही कारण है कि अब छात्रों की शिक्षा इस धार्मिक और राजनितिक बहस […]
बेंगलुरु, Hijab Row Hearing: कर्नाटक के उड्डपि के एक कॉलेज से लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर शुरू हुआ विवाद धीरे-धीरे पूरे कर्नाटक में फैल गया है और पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को भी गरमा दिया है. यही कारण है कि अब छात्रों की शिक्षा इस धार्मिक और राजनितिक बहस का शिकार हो रही है और पूरे देश में बहस होने लगी है. इस विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर की गई हैं. इन याचिकाओं में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर चुनौती दी गई है.
कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने हिजाब पर प्रतिबंध सुनवाई शुरू कर दी है. चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की 3 जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. वहीं, सोमवार से कर्नाटक में स्कूलों को फिर से खोल दिया गया है हालांकि इस दौरान उडुपी जिले में धारा 144 भी लागू कर दी गई है.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कामत ने कर्नाटक हाईकोर्ट को अवगत करवाते हुए बताया कि सरकारी आदेश का कहना है कि हेडस्कार्फ पहनना अनुच्छेद 25 द्वारा संरक्षित नहीं है. अधिवक्ता ने आगे कहा कि सरकार आदेश के मुताबिक़ यह कॉलेज विकास समिति का फैसला होना चाहिए कि वे कॉलेज में हेडस्कार्फ पहनने की इजाजत देते हैं या नहीं या ये पूरी तरह से अवैध है. वकील ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि क्या एक कॉलेज विकास समिति जिसमें एक विधायक और कुछ अधीनस्थ शामिल हैं, सिर्फ वे लोग मौलिक स्वतंत्रता का प्रयोग करने का निर्णय ले सकते हैं? एक वैधानिक प्राधिकरण को नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षक कैसे बनाया जा सकता है?
देवदत्त कामत ने आगे कहा कि केंद्रीय विद्यालय में मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनने की अनुमति है क्योंकि कुरान कहता है कि हिजाब पहनना ‘फर्ज’ है. छात्राएं अपनी ड्रेस के समान रंग का हिजाब पहनना चाह रही हैं, इसलिए ये मामला अब हाईकोर्ट आ पहुंचा है.