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Karanataka Hijab Row: कर्नाटक हिजाब मामलें पर SC की वकीलों को फटकार, कहा- इसे राष्ट्रीय मुद्दा ना बनाया जाएं

Karanataka Hijab Row नई दिल्ली.  Karanataka Hijab Row कर्नाटक हिजाब विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है. यह याचिका यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बी श्रीनिवास (BV Srinivas) ने दाखिल की है. वहीँ दूसरी तरफ कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देती याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने वकीलों को फटकार लगाई […]

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Karanataka Hijab Row: कर्नाटक हिजाब मामलें पर SC की वकीलों को फटकार, कहा- इसे राष्ट्रीय मुद्दा ना बनाया जाएं
  • February 11, 2022 11:40 am Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Karanataka Hijab Row

नई दिल्ली.  Karanataka Hijab Row कर्नाटक हिजाब विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है. यह याचिका यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बी श्रीनिवास (BV Srinivas) ने दाखिल की है. वहीँ दूसरी तरफ कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देती याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने वकीलों को फटकार लगाई है. SC ने कहा कि वह इस मुद्दे पर अपनी नजर बनाए हुए है, जबतक कर्नाटक हाईकोर्ट इस मामलें पर आखिरी फैसला नहीं सुनाता है, तब तक इस मामलें पर हस्तक्षेप करना सही नहीं है. साथ ही सुप्रीमकोर्ट ने कड़े शब्दो में कहा कि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर के चर्चा का विषय ना बनाया जाए. सुप्रीमकोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. बता दें कर्नाटक हाईकोर्ट को हिजाब मामलें पर अगली सुनवाई सोमवार (14/02/2022) को करनी है.

क्या कहती है यूथ कांग्रेस अध्यक्ष की याचिका?

वहीँ यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बी श्रीनिवास (BV Srinivas) ने अपनी याचिका में कोर्ट ने कहा कि ‘धर्म का पालन करने से रोकना मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है. जिस तरह कई राज्यों में घटनाएं हो रही हैं इसके और ज्यादा फैलने की संभावना है. ऐसे में यह बेहतर और उचित होगा कि शीर्ष अदालत मुद्दे का संज्ञान ले.’ इसके साथ ही यूथ अध्यक्ष ने याचिका में कहा कि हर किसी को अपनी पसंद के कपड़े, पगड़ी-टोपी आदि पहनने और अपने धर्म, अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करने का अधिकार है. अगर एक छोटी लड़की को हिजाब पहने देखा जाता है, तो यह अपनी पसंद से नहीं हो सकता है. लेकिन बड़ी और वयस्क लड़कियों और महिलाओं में जहां यह उनकी पसंद है, उनके अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए. धर्म में विश्वास एक बात है लेकिन धार्मिक कट्टरता एक और पहलू है.

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