Afganistan Crisis नई दिल्ली, Afganistan Crisis अफगानिस्तान पर मानवीय संकट लगातार बना हुआ है. देश की जनता संघर्षों से दिन रात लड़ रही है. सूखा महामारी आर्थिक तंगी से लोग इतने परेशान है की बच्चे खाने के लिए अपने शारीरिक अंग तक बेचने पर मजबूर हैं. अफगानिस्तान में बन रहे मौजूदा हालातों पर संयुक्त राष्ट्र […]
नई दिल्ली, Afganistan Crisis अफगानिस्तान पर मानवीय संकट लगातार बना हुआ है. देश की जनता संघर्षों से दिन रात लड़ रही है. सूखा महामारी आर्थिक तंगी से लोग इतने परेशान है की बच्चे खाने के लिए अपने शारीरिक अंग तक बेचने पर मजबूर हैं.
अफगानिस्तान में बन रहे मौजूदा हालातों पर संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) प्रमुख डेविड बीसली ने फिर से चिंता जताई है. इस समय अफगानिस्तान सूखे, महामारी और आर्थिक तंगी के साथ-साथ वषरें के युद्ध से प्रभावित है. जिसके चलते देश अब खाद्य संकट से जूंझ रहा है. हालात इतने गंभीर हैं कि लोग दो वक़्त की रोटी जुटाने के लिए शारीरिक अंगों को बेचने पर मजबूर है. अफगानी बच्चे इस समय उस दयनीय स्थिति से गुज़र रहे हैं जहां खाने के लिए वह अपनी किडनी तक बेचने पर मजबूर हैं.
एक अनुमान के मुताबिक अफगानिस्तान में इस साल के अंत तक करीब 97 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे होगी. डेविड वीसली के मुताबिक अफगानिस्तान लगभग पिछले 20 सालों से तालिबान संकट से युद्ध कर रहा है. उस दौरान भी ये देश दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक था. इस समय इसके आगे सबसे बड़ा संकट केवल तालिबान ही नहीं है बल्कि भुखमरी और खाद्य संकट है जिससे करीब 2.3 करोड़ लोग अपने जीवन की कगार पर हैं. अफगानिस्तान के लोगों की आपबीती बताने के लिए वो घटना ही काफी है जहाँ एक माँ ने अपनी बेटी का सौदा केवल इसलिए कर दिया ताकि उसे खाना मिल सके और वो जीवित रह सके.
डब्ल्यूएफपी प्रमुख ने दुनिया के उन् तमाम लोगों से अफगानिस्तान की मदद करने की गुज़ारिश की है. महामारी के दौरान भी दुनिया का एक वर्ग अरबों में कमाई कर रहा था. आकड़ों के मुताबिक हर दिन महामारी के दौरान 5.2 अरब डालर की संपत्ति में वृद्धि हुई. इस संकट से निकलने के लिए केवल एक दिन की कमाई की अफगानिस्तान को ज़रुरत है. एएनआईए की एक रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान के हालात इतने खराब हैं कि हेरात प्रांत निवासी एक व्यक्ति को अपनी एक किडनी सिर्फ इसलिए बिकनी पड़ी ताकि वह अपने परिवार के लिए भोजन जुटा सके.
अफगानिस्तान के इस मानवीय संकट पर ब्रिटैन के विदेश मंत्री , लिज़ ट्रस्ट ने बताया की यदि अफगानिस्तान पर लगे आर्थिक प्रतिबन्ध हटा दिए जाए तो उसे इस संकट सेनिकलने में मदद मिलेगी. इसी मुद्दे पर पिछले दिनों नार्वे की राजधानी ओस्लो में तालिबानी प्रतिनिधिमंडल तथा अमेरिका व यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत में अफगानियों की मदद के लिए प्रतिबद्धता को दोहराया गया.