मध्य प्रदेश. राजगढ़ rajgarh जिले के खिलचीपुर स्थित डालूपुरा गांव में कोरोना की भारी अनदेखी का हैरतअंगेज मामला सामने आया है। एक जानवर के प्रति गांववासियों ने इतना प्यार दिखाया की हजारों लोगों की जान से खिलवाड़ किया गया। हुआ कुछ यूं कि कुछ दिन पहले गांव में एक बंदर monkey की मौत हो गयी […]
मध्य प्रदेश. राजगढ़ rajgarh जिले के खिलचीपुर स्थित डालूपुरा गांव में कोरोना की भारी अनदेखी का हैरतअंगेज मामला सामने आया है। एक जानवर के प्रति गांववासियों ने इतना प्यार दिखाया की हजारों लोगों की जान से खिलवाड़ किया गया। हुआ कुछ यूं कि कुछ दिन पहले गांव में एक बंदर monkey की मौत हो गयी थी। जिसकी शवयात्रा में सैकंड़ो ग्रामीण शामिल हुए थे। इतना ही नहीं सोमवार को बंदर की तेरहवीं का आयोजन किया गया जिसमें हजारों लोगों के इकट्ठा होने की सूचना है।
सूत्रों के मुताबिक 29 दिसंबर को गांव के जंगल में कुछ ग्रामीणों को एक बीमार बंदर मिला था। बंदर को पहले गांव लाया गया। जहां से उसे इलाज के लिए खिलचीपुर और फिर राजगढ़ भेजा गया। लेकिन बंदर ठीक नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई। इसके बाद गांववालों ने बंदर की अर्थी सजाकर गाजे बाजे के साथ उसकी शव यात्रा निकाली और पूरे विधि-विधान से उसका अंतिम संस्कार किया गया। इतना ही नहीं बंदर की मौत के तीसरे दिन उसकी अस्थियां उज्जैन में विसर्जित की गई थी। एक ग्रामीण हरि सिंह ने दुख प्रकट करते हुए अपना मुंडन भी कराया था।
सोमवार को बंदर की तेरहवीं थी। गांववालों ने बंदर की आत्मा की शांति के लिए एक भंडारे का आयोजन किया था। इस भोज में शामिल होने के लिए आस-पास के ग्रामीणों को भी न्योता दिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक बंदर की तेरहवीं के भोज में करीब 7 हजार से अधिक ग्रामीण पहुंचे। मामले की जानकारी होते ही देर शाम खिलचीपुर थाने की पुलिस गांव पहुंची और मुख्य आयोजनकर्ताओं को थाने ले आई। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार गांव के हरि सिंह और अर्जुन सिंह सहित कुछ अन्य ग्रामीणों पर कोविड प्रोटोकॉल के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है।
बंदर का अंतिम संस्कार करने वाले ग्रामीणों का मानना है कि बंदर हनुमानजी का ही रूप हैं। समाज की आस्थाएं उसके साथ जुड़ी हुई हैं। इसलिए उन्होंने पूरे रीति रिवाज के साथ बंदर की अंतिम विदाई की है।