बिहार पंचायत चुनाव में मुखिया पद की अजब-गजब कहानीः बेटे ने बाप को हराया

बिहार. Bihar panchayat election बिहार के गोपालगंज के बरौली प्रखंड में माधोपुर पंचायत है, जहां मुखिया पद के लिए चुनाव हुए और पंचायत चुनाव में बाप और बेटा आमने-सामने थे. वहीं बाप- बेटे के चुनाव में उतरने के बाद लोगों की दिलचस्पी इसके परिणाम को लेकर बढ़ गई थी. विजय प्रसाद (मुखिया) और उनके छोटे […]

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बिहार पंचायत चुनाव में मुखिया पद की अजब-गजब कहानीः बेटे ने बाप को हराया

Aanchal Pandey

  • December 12, 2021 3:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

बिहार. Bihar panchayat election बिहार के गोपालगंज के बरौली प्रखंड में माधोपुर पंचायत है, जहां मुखिया पद के लिए चुनाव हुए और पंचायत चुनाव में बाप और बेटा आमने-सामने थे. वहीं बाप- बेटे के चुनाव में उतरने के बाद लोगों की दिलचस्पी इसके परिणाम को लेकर बढ़ गई थी. विजय प्रसाद (मुखिया) और उनके छोटे बेटे संतोष कुमार के बीच इस मुकाबले को लेकर आसपास के गांवों में खूब चर्चा रही. हर किसी के मन में एक ही सवाल था, आखिर जीतेगा कौन? जिस दिन चुनाव का परिणाम घोषित होना था, उस दिन पूरा गावं इकट्ठा होकर रिजल्ट का इंतजार करने लगा. जब नतीजा आया तो बेटे संतोष कुमार ने दो बार माधोपुर पंचायत के मुखिया रहे पिता विजय प्रसाद को हरा दिया.

विजय प्रसाद

गोपालगंज की बरौली प्रखंड के माधौपुर पंचायत में विजय प्रसाद लगातार दो बार मुखिया पद पर रहे। इनका पहला पांच वर्षीय मुखिया पद कार्यकाल अच्छा रहा, माधोपुर पंचायत की जनता विजय प्रसाद के कार्य से काफी खुश रहती थी और उनके छोटे बेटे, संतोष कुमार पिता के विकास कार्यों में मदद करते थे. मुखिया के काम काज से प्रसन्न होकर माधोपुर पंचायत की जनता ने उन्हें दूसरी बार मुखिया पद की जिम्मेदारी सौंपी और उन्हें भारी मतों से विजय बनाया लेकिन इस कार्यकाल के दौरान मुखिया विजय प्रसाद अपने बड़े बेटे की बातो में आकर बहक गया और उन्होंने गांव के विकास पर खास ध्यान नहीं दिया। इससे गांव की जनता मुखिया से निराश रहने लगी.

पिता के कार्य से नाखुश होकर छोटे बेटे ने लिया मुखिया पद पर चुनाव लड़ने का फैसला किया

मेरे पिता के द्वारा पंचायत में जो भी विकास कार्य किये जा रहे थे, वे सभी मेरे ही सहयोग से हुए हैं. मैं अपने पिता के हर कार्य में हाथ बंटा रहा था, लेकिन कुछ वर्षो से मेरे पिता अपने बड़े बेटे की बातों में आकर पंचायत में विकास कार्य नहीं कर पा रहे थे. इसी वजह से पंचायत में विकास करने की नीयत से मैं चुनाव मैदान में उतर गया था. मैं जनता की सेवा पहले भी करता आया हूं, मुखिया बनने के बाद मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है, अब मेरा मुख्य उद्देश्य तन, मन और धन से जनता की सेवा करना है और मैं अपने पंचायत की जनता की उम्मीदें नहीं टूटने दूंगा.

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