Allahbad Highcourt: इलाहबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- बहु को बेटी से ज्यादा अधिकार

उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ( Allahbad Highcourt ) ने बीते दिन एक अहम फैसला सुनाया है, हाई कोर्ट के इस फैसले कके तहत अब बहुओं को बेटियों से ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे. बता दें कोर्ट ने यह फैसला सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते […]

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Allahbad Highcourt: इलाहबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- बहु को बेटी से ज्यादा अधिकार

Aanchal Pandey

  • December 7, 2021 10:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ( Allahbad Highcourt ) ने बीते दिन एक अहम फैसला सुनाया है, हाई कोर्ट के इस फैसले कके तहत अब बहुओं को बेटियों से ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे. बता दें कोर्ट ने यह फैसला सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए दिया.

बहु को बेटी से ज्यादा अधिकार !

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आश्रित कोटे से जुड़े एक मामले को लेकर बड़ा फैसला दिया है कि बहू का बेटी से अधिक अधिकार है. बता दें कि इसी दौरान बेटी को परिवार में शामिल करने और बहू को न शामिल करने से जुड़े एक दिशा-निर्देश भी कोर्ट ने रद्द कर दिया है. कोर्ट ने आज ये फैसला देते हुए सरकार को आश्रित कोटे के नियमों में जल्द बदलाव करने के लिए भी कहा है.

कोर्ट ने सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया फैसला

कोर्ट ने सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन से जुड़े एक मामले में बहु को परिवार में शामिल करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में नई व्यवस्था बनाते हुए बहू को भी परिवार की श्रेणी में रखने आदेश दिया है. इसके साथ ही सरकार से पांच अगस्त 2019 के आदेश में बदलाव करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि परिवार में कई मामले ऐसे होते हैं जहाँ बेटी से ज्यादा बहू का अधिकार है.

क्या था मामला

दरअसल, उत्तर प्रदेश की याची पुष्पा देवी ने इलाहबाद हाईकोर्ट में आवेदन किया है कि वे विधवा हैं. उनकी सास महदेवी देवी जिनके नाम राशन की दुकान आवंटित थी. उनकी 11 अप्रैल 2021 को मौत हो गई. इसके बाद से ही याची पुष्पा देवी के जीवन पर घोर आर्थिक संकट मंडराने लगा हालत इतने खराब होने लगाए कि उनके लिए अपना जीवन-यापन करना भी मुश्किल हो गया. चूँकि वह और उनके दोनों बच्चे पूरी तरह से उनकी सास पर ही निर्भर थे इसलिए समस्या अब और अधिक बढ़ गई थी.

सास के निधन के बाद उनके परिवार में ऐसा कोई पुरुष या महिला नहीं बची जिनके नाम पर राशन की दुकान आवंटित की जा सके. इस लिहाज से वे अपनी सास की उत्तराधिकारी है और उसके नाम से राशन की दुकान का आवंटन किया जाना चाहिए था. याची ने राशन की दुकान के आवंटन के संबंध में संबंधित अथॉरिटी के प्रत्यावेदन किया लेकिन, अथॉरिटी ने यह कहकर उनका आवेदन ठुकरा दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार के पांच अगस्त 2019 के आदेश के तहत बहू या विधवा बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है. और इसके चलते आपके नाम पर राशन की दुकान आवंटित नहीं की जा सकती. इसके बाद ही याची पुष्पा देवी ने इलाहबाद हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ आवेदन किया था.

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