Yeh Mard Bechara Review: मर्द का दर्द बयां करती है फिल्म ये मर्द बेचारा, पढ़ें फिल्म रिव्यू

Yeh Mard Bechara review: फिल्मों में अक्सर मर्द को मजबूत वहीं महिला को कमजोर दिखाने की परंपरा सी रही है. मर्द है तो मजबूत होना लाजमी है. मर्द को दर्द नहीं होता, मर्द की जुबान, मर्द का बच्चा जैसे डायलॉग सालों से हमारी फिल्मों में इस्तेमाल होते रहे हैं वहीं कायरता के नाम पर मर्दों […]

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Yeh Mard Bechara Review: मर्द का दर्द बयां करती है फिल्म ये मर्द बेचारा, पढ़ें फिल्म रिव्यू

Aanchal Pandey

  • November 18, 2021 2:44 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Yeh Mard Bechara review: फिल्मों में अक्सर मर्द को मजबूत वहीं महिला को कमजोर दिखाने की परंपरा सी रही है. मर्द है तो मजबूत होना लाजमी है. मर्द को दर्द नहीं होता, मर्द की जुबान, मर्द का बच्चा जैसे डायलॉग सालों से हमारी फिल्मों में इस्तेमाल होते रहे हैं वहीं कायरता के नाम पर मर्दों को चूड़ियां पहन लेने जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं. मर्द का मतलब माचो होता है जैसा रब ने बना दी जोड़ी में शाहरुख खान का दोस्त उसे बताता है कि मर्द कभी बाइक के पीछे नहीं बैठते बल्कि सामने बैठते हैं वर्ना लड़की इज्जत नहीं करती.

धर्मेंद्र पाजी माचो, सनी पाजी माचो… सीना ठोककर चलने वाला माचो यानी मर्द होता है. समाज ने मर्द को हमेशा मजबूत और कठोर रूप में ही देखा और स्वीकार किया है लेकिन निर्देशक अनूप थापा की फिल्म ‘यह मर्द बेचारा’ मर्दों का बिलकुल ही दूसरा बयां करती है जो शायद कभी पर्दे पर दिखा ही नहीं.

 फिल्म की कहानी शिवम नाम के लड़के से शुरू होती है

कहानी: फिल्म की कहानी शिवम नाम के लड़के से शुरू होती है जो फरीदाबाद में अपने परिवार के साथ रहता है. शिवम का परिवार काफी पुराने ख्यालों वाला है और उसके पिता उसे कहते हैं कि खानदान की परंपरा है कि मर्द को मूंछें रखनी ही होती है. शिवम पिता की बात मानकर मूछें रख तो लेता है लेकिन उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनती.

फिल्म की कहानी शिवम के किरदार के ईर्द-गिर्द घूमती है जहां समय समय पर लोग उसे यही सलाह देते हैं कि मर्द को क्या करना चाहिए क्या नहीं. शिवम अपनी गर्लफ्रेंड शिवालिका के चक्कर में कभी जिम जाता है तो कभी मूछें कटवाता है. इन सारी दुविधाओं और पशोपेश के बीच से गुजरती फिल्म एक नौजवान पर पड़ने वाले सामाजिक दवाब और उसकी व्यक्तिगत इच्छा और उसमें होते समझौतों को बारीकी से बयां करती है.

जब भी मुझे क‍िसी ने परेशान क‍िया तो श‍िवम भइया ने उसे मारा नहीं

फिल्म के एक डायलॉग में शिवम की बहन कहती है कि ‘जब भी मुझे क‍िसी ने परेशान क‍िया तो श‍िवम भइया ने उसे मारा नहीं, बल्कि मुझे ह‍िम्‍मत दी क‍ि मैं अपनी लड़ाई खुद लडूं. उन्‍होंने मेरी रक्षा नहीं की बल्कि मुझे अपनी रक्षा के काब‍िल बनाया…’ फिल्म के कास्ट की बात करें तो फिल्म में सीमा पावा, अतुम श्रीवास्‍तव, बृजेंद्र काला जैसे दिग्गज एक्टर हैं वहीं सीमा पावा और मनोज पाहवा की बेटी मनुकृति पाहवा की ये डेब्यू फिल्म है. फिल्म के लीड रोल में विराज राव हैं.

फिल्म का क्लाइमेक्स थोड़ा ढीला है लेकिन कहानी के दम पर फिल्म दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहेगी. फिल्म की कहानी आपके दिमाग में कई सारे सवाल पैदा करती है जो सिनेमा हॉल से निकलते हुए आपके दिमाग में कौंधते हैं. ये फिल्म दर्शकों से कनेक्ट करती है जिन्हें कभी ना कभी किसी ना किसी वजह से मर्द होने को लेकर ताने दिए गए हैं.

 हमारी तरफ से फिल्म को 5 में से 4 स्टार 

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