अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर के चंदे के लिए विश्व हिंदू परिषद ने 'समर्पण निधि अभियान' चलाया। जिसमें बहुत से लोगों ने हिस्सा लिया। विदेशों में रह रहे भारतीयों और विदेशी रामभक्तों ने भी इसमें अपना खूब योगदान दिया। अब तक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पास लगभग 3500 करोड़ रुपये समर्पण निधि (चंदा) के रूप में एकत्र हो चुके हैं। लेकिन अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट विदेशी रामभक्तों से प्राप्त चंदे को उन्हें वापस कर रहा है। एक कानूनी खामी विदेशी रामभक्तों के इस सहयोग को स्वीकार करने में बड़ी बाधा बन रही है।
लखनऊ. अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर के चंदे के लिए विश्व हिंदू परिषद ने ‘समर्पण निधि अभियान’ चलाया। जिसमें बहुत से लोगों ने हिस्सा लिया। विदेशों में रह रहे भारतीयों और विदेशी रामभक्तों ने भी इसमें अपना खूब योगदान दिया। अब तक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पास लगभग 3500 करोड़ रुपये समर्पण निधि (चंदा) के रूप में एकत्र हो चुके हैं। लेकिन अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट विदेशी रामभक्तों से प्राप्त चंदे को उन्हें वापस कर रहा है। एक कानूनी खामी विदेशी रामभक्तों के इस सहयोग को स्वीकार करने में बड़ी बाधा बन रही है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पास अभी एफसीआरए लाइसेंस नहीं है। इस लाइसेंस के बिना कोई भी संगठन विदेशी स्रोतों से चंदा स्वीकार नहीं कर सकता है। लेकिन जब राम मंदिर निर्माण के लिए ऑनलाइन सहयोग राशि स्वीकार की जा रही थी, तब विदेशी रामभक्तों ने इसमें बढ़-चढ़कर योगदान दिया।
एफसीआरए लाइसेंस न होने की वजह से अब ट्रस्ट विदेश में रह रहे भारतीयों, अनिवासी भारतीयों और विदेशी नागरिकों के विदेशी खातों से प्राप्त सहयोग राशि को वापस कर रहा है। अब तक 18 हजार से ज्यादा विदेशी दानकर्ताओं को उनका पैसा वापस किया जा चुका है। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। सभी दानदातओं का पैसा वापस करने में कुछ समय लग सकता है।