Supreme Court on Corona Crisis: चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने गुरुवार को कहा कि हालात डरावने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चार अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार से नेशनल प्लान मांगा है. इसमें पहला- ऑक्सीजन की सप्लाई, दूसरा- दवाओं की सप्लाई, तीसरा- वैक्सीन देने का तरीका और प्रक्रिया और चौथा- लॉकडाउन करने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को हो, कोर्ट को नहीं।
नई दिल्ली/ कोरोना पर हालत बेकाबू होते जा रहे है। दिन पर दिन नए केस रिकॉर्ड तोड़ रहे है थमने का नाम ही नही ले रहा है। बिगड़ते हालात को देखते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड और जरूरी दवाइयों की किल्लत को देखते हुए नोटिस लिया है।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने गुरुवार को कहा कि हालात डरावने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चार अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार से नेशनल प्लान मांगा है. इसमें पहला- ऑक्सीजन की सप्लाई, दूसरा- दवाओं की सप्लाई, तीसरा- वैक्सीन देने का तरीका और प्रक्रिया और चौथा- लॉकडाउन करने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को हो, कोर्ट को नहीं। यह ज्यूडिशियल फैसला नहीं होना चाहिए। फिर भी हम लॉकडाउन लगाने के हाईकोर्ट के न्यायिक अधिकारों पर गौर करेंगे। इस मामले में अब 23 अप्रैल को यानी कल सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में छह अलग अलग हाई कोर्ट यानी दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, मध्यप्रदेश, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोरोना संकट पर सुनवाई चल रही है। इससे कन्फ्यूजन पैदा हो सकता है। एक हाई कोर्ट को लगता है कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में प्राथमिकता है, एक को लगता है कि उनका अधिकार क्षेत्र है। बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस मुद्दे पर नेशनल प्लान बताएं। हाईकोर्ट्स को भी इस बारे में बताएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को अपने आदेशों का सख्ती से पालन करवाना चाहिए। सरकार अगर चाहे तो धरती-आसमान एक कर सकती है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने इससे पहले केंद्र सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘गिड़गिडाइए, उधार लीजिए या फिर चोरी करिए, लेकिन ऑक्सीजन लेकर आइए, हम मरीजों को मरते नहीं देख सकते। बुधवार को दिल्ली के कुछ अस्पतालों में ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत के संबंध में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ये कड़ी टिप्पणी की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद सरकार से कहा था कि कोविड के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए दिल्ली के हॉस्पिटल को किसी भी तरह से ऑक्सीजन मुहैया करवाई जाएं। कोर्ट ने आगे कहा कि केंद्र हालात की गंभीरता को क्यों नहीं समझ रहा। अदालत ने नासिक में ऑक्सीजन से हुई मौतों का जिक्र भी किया। वहीं आगे कहा कि अगर टाटा कंपनी अपने ऑक्सीजन कोटे को डायवर्ट कर सकती है, तो दूसरे ऐसा क्यों नहीं कर सकते? क्या इंसानियत की कोई जगह नहीं बची है? ये हास्यास्पद है।