Lucknow Corona Update : कोरोना के कठिन दौर में शहर में मृत्यु दर बढ़ती ही जा रही है. लखनऊ में सोमवार को रात आठ बजे तक 130 शव शहर के दो श्मशान स्थलों पर पहुंचे. इसमें ज्यादातर शव संक्रमित माने जा रहे हैं. शवों के अंतिम संस्कार के दौरान लकड़ी कम पड़ जाने से कुछ लोगों ने हंगामा किया. इसके बाद नगर निगम प्रशासन ने लकड़ी की व्यवस्था कराई और ठेकेदारों को लकड़ी की कमी न होने देने की हिदायत दी.
नई दिल्ली. कोरोना के कठिन दौर में शहर में मृत्यु दर बढ़ती ही जा रही है. लखनऊ में सोमवार को रात आठ बजे तक 130 शव शहर के दो श्मशान स्थलों पर पहुंचे. इसमें ज्यादातर शव संक्रमित माने जा रहे हैं. शवों के अंतिम संस्कार के दौरान लकड़ी कम पड़ जाने से कुछ लोगों ने हंगामा किया. इसके बाद नगर निगम प्रशासन ने लकड़ी की व्यवस्था कराई और ठेकेदारों को लकड़ी की कमी न होने देने की हिदायत दी.
बैकुंठधाम पर सामान्य शवों के अंतिम संस्कार के लिए सोमवार सुबह लकड़ी कम पड़ जाने पर अंतिम संस्कार कराने आए लोगों को निशातगंज, रहीम नगर और डालीगंज आदि से लकड़ी खरीद कर लानी पड़ी। जहां इनसे मनमाना दाम वसूला गया. बैकुंठधाम पर अंतिम संस्कार कराने वाले और लकड़ी की टाल वाले दीपू पंडित ने बताया कि अचानक शवों की संख्या बढ़ जाने से मांग के अनुरूप ऐशबाग से लकड़ी नहीं आ पा रही है. कटान बंद होने से यह समस्या हुई है। पहले 15 से 20 शव आते थे, अब 40 आ रहे हैं। घाट पर लकड़ी का रेट 550 रुपये प्रति कुंतल फिक्स है, जबकि बाहर वाले अधिक पैसा वसूल रहे हैं.
अंतिम संस्कार के लिए मांग रहें हैं रिशवत
सामाजिक कार्यकर्ता सुमन सिंह रावत सोमवार को सुबह 11 बजे से बैकुंठ धाम पर रिश्तेदार केशव के साथ दाह संस्कार के लिए इंतजार करती रहीं. आठ घंटे तक चले हंगामे के बाद अंतत: खुद ही लकड़ी मंगवाकर दाह संस्कार करवाना पड़ा. सुमन रावत का आरोप है कि जब उनके रिश्तेदार का शव वहां पहुंचा तो एंबुलेंस, लकड़ी, पंडित, सफाई करवाने समेत 20 हजार रुपये का खर्च बताया गया. नियमानुसार किया जाए तो महज 3800 रुपये में दाह संस्कार हो जाता है.
लकड़ी के कर दी कीमत तय
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि बैकुंठधाम पर लकड़ी का काम पंडे ही करते हैं. उसका रेट तय है. सुबह लकड़ी कम होने की जानकारी पर निरीक्षण किया गया. पंडा ने ऐशबाग से कम लकड़ी आ पाने की बात कही तो लकड़ी मंगवाई गई. किसी को कोई समस्या न हो, इसके लिए एक काउंटर भी बना दिया गया है. विद्युत शवदाह गृह के पीछे जो अतिरिक्त शवदाह स्थल संक्रमित शवों के लिए बने हैं, वहां लकड़ी की कमी नहीं है. वहां नगर निगम खुद लकड़ी देता है.
कब्रिस्तान में दफन होने के लिए आने वाली मय्यतों संख्या बढ़ी
कोरोना काल में कब्रिस्तान में दफन होने के लिए आने वाली मय्यतों संख्या भी बढ़ गई है. शहर के सबसे बड़े ऐशबाग कब्रिस्तान में ही बीते 12 दिनों में 210 मय्यतों को दफनाया गया है. ऐशबाग कब्रिस्तान के जिम्मेदार हाफिज मतीन बताते हैं कि इनमें 14 शव संक्रमित थे. संक्रमित शव दफनाने के लिए कब्रिस्तान में अलग जगह बनाई गई है. साथ ही गड्ढा भी गहरा खुदवाया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि रोजाना 25 से 30 शव आ रहे हैं. उधर, हैदरगंज स्थित सुप्पा कब्रिस्तान में रोजाना 10 से 12 मय्यत दफन होने आ रही हैं. हालांकि अभी तक कोई संक्रमित शव नहीं आया है. हाफिज सलीमुद्दीन का कहना है कि सामान्य दिनों में यहां रोजाना 2 से 3 मय्यतें ही आती हैं, लेकिन बीते चार दिनों में 40 मय्यतें आ चुकी है. इसी तरह निशातगंज कब्रिस्तान में एक अप्रैल से अब तक 23 मय्यत दफन हुई हैं. हाफिज मंजूर आलम ने बताया कि सामान्य दिनों में एक महीने 10 से 12 शव आते थे. डालीगंज कब्रिस्तान में बीते 12 दिनों में 41 मय्यत दफनाई गईं
कब्रिस्तान के इंचार्ज उस्मान अली शाह ने बताया कि सामान्य दिनों में एक माह में 20 से 25 मय्यतें आती हैं, लेकिन अभी इनकी संख्या में दोगुने से ज्यादा हो गई है. खदरा कब्रिस्तान के जिम्मेदार मोहम्मद रिजवान सैफी ने बताया कि एक अप्रैल से अब तक 29 शव दफनाए गए हैं, जबकि सामान्य दिनों में इनकी संख्या एक महीने में 10 से 12 रहती है. मय्यतों की संख्या बढ़ने से सभी कब्रिस्तान में कब खोजने वाले मजदूर भी बढ़ाने पड़ रहे हैं. मजदूर आसानी से मिल जाएं, इसके लिए खुदाई का रेट भी बढ़ा दिया गया है.
डालीगंज कब्रिस्तान के इंचार्ज उस्मान अली शाह ने बताया कि कब्र खुदाई का रेट 500 से बढ़कर 800 रुपये किया गया है. वहीं खदरा कब्रिस्तान के मोहम्मद रिजवान ने बताया कि कमेटी अभी भी 300 रुपये की रसीद काट रही है, लेकिन मजदूर अधिक पैसा मांग रहे हैं.