Kamada Ekadashi 2021: जानिए कब रखा जाएगा कामदा एकादशी का व्रत, भगवान विष्णु की पूजा के बन रहे शुभ संयोग

Kamada Ekadashi 2021: हिन्दू धर्म में हिन्दू पंचांग के अनुसार एक माह में दो बार एकादशी की तिथियां आती है। रामनवमी के अगले दिन ही इस बार कामदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा

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Kamada Ekadashi 2021: जानिए कब रखा जाएगा कामदा एकादशी का व्रत, भगवान विष्णु की पूजा के बन रहे शुभ संयोग

Aanchal Pandey

  • April 14, 2021 6:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली/ रामनवमी के अगले दिन ही इस बार कामदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस बार पूजा के 7 शुभ महूर्त बन रहे हैं। हिन्दू धर्म में हिन्दू पंचांग के अनुसार एक माह में दो बार एकादशी की तिथियां आती है। इस प्रकार एक वर्ष में 24 एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में रखे जाते हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि आगामी कामदा एकादशी के व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और इंसान को मृत्युपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कहा जाता है इस व्रत कर रखने मात्र से ही व्यक्ति को सभी संकट और पापों से मुक्ति मिलती है। सर्वकार्य सिद्धि और मनोकामना को पूर्ण करने को भी यह व्रत रखा जाता है। सुहागिन महिलाओँ को इस व्रत के रखने से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा कुंवारी कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधाएं भी इस व्रत से दूर होती हैं ,और इस व्रत से सुख सम्पन्नता और प्रसन्नता आती है।

ये हैं पूजा के शुभ मुहूर्त-

भारतीय पंचांग के अनुसार कामदा एकादशी के दिन पूजा के सुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं।

24 अप्रैल को कामदा एकादशी के दिन बनने वाले शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:09 ए एम, अप्रैल 24 से 04:53 ए एम, अप्रैल 24 तक।    

अभिजित मुहूर्त- 11:41 ए एम से 12:33 पी एम तक।

विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:09 पी एम तक।

गोधूलि मुहूर्त- 06:23 पी एम से 06:47 पी एम तक। 

अमृत काल- 12:20 ए एम, अप्रैल 24 से 01:50 ए एम, अप्रैल 24 तक।

निशिता मुहूर्त- 11:45 पी एम से 12:29 ए एम, अप्रैल 24 तक।

रवि योग- 05:38 ए एम से 07:42 ए एम तक।

कामदा एकादशी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में भोगीपुर नामक नगर में पुण्डरीक नामक एक राजा था. जिसको एक कार्कोट नामक नाग ने राक्षस होने का श्राप दे दिया था. जिसको कम करने को राजा की प्रिय ललिता ने ऋषियोँ के कहने पर इस व्रत को किया और और अपने पति को राक्षस योनि से मुक्ति दिलाई विस्तार से कथा एकादशी महात्म्य में पढ़ी जा सकती है।

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