IPL 2011: विराट कोहली की आरसीबी टीम मुझे काफी बैलेंस लग रही है। टीम में जहां अच्छे धाकड़ बल्लेबाज़ हैं तो वहीं गेंदबाज़ी के मोर्चे पर खास तौर पर स्पिन बॉलिंग टीम की ताक़त है।
इस बार विराट कोहली की आरसीबी टीम मुझे काफी बैलेंस लग रही है। टीम में जहां अच्छे धाकड़ बल्लेबाज़ हैं तो वहीं गेंदबाज़ी के मोर्चे पर खास तौर पर स्पिन बॉलिंग टीम की ताक़त है। कुछ कोविड पॉजीटिव मामलों की वजह से टीम की चुनौतियां बढ़ गई हैं लेकिन मेरे ख्याल से टीम जल्दी ही इस सबसे निजात पा लेगी।
चहल और वाशिंग्टन सुंदर गेंदबाज़ी आक्रमण की ताक़त हैं। इनकी प्रतिभा को लेकर कोई संदेह नहीं है। ये ऐसे बॉलर हैं जो पॉवरप्ले और डेथ ओवरों में भी अच्छी गेंदबाज़ी करने की कूवत रखते हैं। खासकर सुंदर ने पॉवरप्ले में शानदार गेंदबाज़ी से इसे साबित भी किया है। यह स्थिति तब है जबकि टी-20 क्रिकेट में स्पिनर्स के लिए बहुत कुछ चैलेंजिंग होता है। तेज़ गेंदबाज़ी के मोर्चे पर अनुभवहीनता सामने आ सकती है। फिर भी सैनी और सीराज से मुझे काफी उम्मीदें हैं। हालांकि सीराज ने हाल में अपनी गेंदबाज़ी से काफी प्रभावित किया है। डेनियल सैम्स टीम के अकेले बाएं हाथ के गेंदबाज़ हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि वह जल्दी फिट हो जाएंगे और खासकर बाद के मैचों में वह टीम के लिए उपलब्ध होकर शानदार गेंदबाज़ी करेंगे। काइल जैमिसन हाल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ काफी महंगे साबित हुए थे। उन्होंने चार टी-20 मैचों में तकरीबन 150 से ज़्यादा रन खर्च किए हैं। उनका भारत में आकर गेंदबाज़ी करना और भी चुनौतीपूर्ण रहेगा। वहीं केन रिचर्डसन से मुझे काफी उम्मीदें हैं जिनके पास स्पीड के अलावा अच्छा मूवमेंट भी है। वह मौका मिलने पर उपयोगी साबित हो सकते हैं।
देवदत्त पड्डिकल यदि जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं तो वह अपनी घरेलू क्रिकेट की फॉर्म को आईपीएल में आगे बढ़ा सकते हैं। फिल एलेन ने पिछले दिनों बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी टी-20 मैच में जिस विस्फोटक अंदाज़ में बल्लेबाज़ी की है, उसे देखते हुए तो मैं उनका कायल हो गया हूं। उन्हें भारतीय ज़मीं पर इसी अंदाज़ में बल्लेबाज़ी करते देखने की उनकी इच्छा है। वैसे बल्लेबाज़ी के मोर्चे पर विराट, एबी डिविलियर्स और ग्लेन मैक्सवेल की तिकड़ी से काफी उम्मीदें की जा सकती है। तीनों में से अगर कोई एक भी बीसवें ओवर तक टिक जाता है तो टीम के स्कोर को 200 के पार पहुंचने में देर नहीं लगेगी। आखिर मे मैं यही कहूंगा कि अगर तेज़ गेंदबाज़ों का साथ मिला तो यह टीम उस मुकाम तक पहुंच सकती है जहां तीन मौकों पर टीम आखिरी बाधा में लड़खड़ा गई।
(लेखक विराट कोहली के कोच होने के अलावा द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता और क्रिकेट समीक्षक हैं)