Holashtak 2021: होलाष्टक के दिन नहीं किए जाते कोई शुभ काम, इसके पीछे की वजह है हैरान कर देने वाला

Holashtak 2021: हिंदु पंचांग के अनुसार इस साल 2021 में होलाष्टक की शुरुआत 22 मार्च से हो जाएगा। इस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। ज्योतिष के मुताबिक चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान होंगे और इस दिन आद्रा नक्षत्र भी रहेगा। अन्य ग्रहों व राशियों की बात की जाए तो वृष राशि में राहु और मंगल, वृश्चिक राशि में केतु, मकर राशि में गुरू और शनि, कुंभ राशि में बुध और मीन राशि में सूर्य व शुक्र विराजमान रहेंगे। ।

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Holashtak 2021: होलाष्टक के दिन नहीं किए जाते कोई शुभ काम, इसके पीछे की वजह है हैरान कर देने वाला

Aanchal Pandey

  • March 19, 2021 5:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली. हिंदु पंचांग के अनुसार इस साल 2021 में होलाष्टक की शुरुआत 22 मार्च से हो जाएगा। इस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। ज्योतिष के मुताबिक चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान होंगे और इस दिन आद्रा नक्षत्र भी रहेगा। अन्य ग्रहों व राशियों की बात की जाए तो वृष राशि में राहु और मंगल, वृश्चिक राशि में केतु, मकर राशि में गुरू और शनि, कुंभ राशि में बुध और मीन राशि में सूर्य व शुक्र विराजमान रहेंगे। ज्योतिष के अनुसार होलाष्टक का समापन होलिका दहन के दिन हो जाता है। पंचाग के मुताबिक होलिका दहन 28 व 29 मार्च को होली खेली जाएगी।

होलाष्टक में भूल कर भी  न करें ये काम

होलाष्टक के दौरान शादी या कोई शुभ काम नहीं होता है।
गृह प्रवेश भी नहीं किया जाता है।
भूमि पूजन भी नहीं कर सकते हैं ।
नई दुल्हन को  इन दिनों में मायके में रहने के लिए कहा जाता है।
-हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताए जाते हैं, इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिए। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिए भी शांति पूजन कराया जाता है।

क्यों नहीं होते शुभ काम
मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने अपनी तपस्या भंग करने का प्रयास करने पर कामदेव को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को भस्म कर दिया था। कामदेव प्रेम के देवता माने जाते हैं, इनके भस्म होने के कारण संसार में शोक की लहर फैल गई। जब कामदेव की पत्नी रति द्वारा भगवान शिव से क्षमा याचना की गई, तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन प्रदान करने का आश्वासन दिया। इसके बाद लोगों ने खुशी मनाई। होलाष्टक का अंत दुल्हेंदी के साथ होने के पीछे एक पौराणिक कारण यह माना जाता है।

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