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Gupt Navratri 2021: 12 फरवरी से शुरु हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानिए कैसे करनी होगी पूजा

Gupt Navratri 2021: गुप्त नवरात्रि काल में अनेकों साधक महाविद्या हेतु मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की आराधना करते हैं. गुप्त नवरात्रि पर्व के दौरान माँ दुर्गा जी की आराधना महाविद्या के दस स्वरूपों में की जाती है.

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Gupt Navratri 2021
  • January 30, 2021 5:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली : गुप्त नवरात्रि माघ मास के शुक्ल पक्ष से प्रारंभ हो रही है. जो 12 फरवरी 2021 शुक्रवार से 21 फरवरी 2021 रविवार तक रहेंगी. गुप्त नवरात्रि काल में अनेकों साधक महाविद्या हेतु मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की आराधना करते हैं. गुप्त नवरात्रि पर्व के दौरान माँ दुर्गा जी की आराधना महाविद्या के दस स्वरूपों में की जाती है. समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए माँ की गुप्त रूप से साधना की जाती है. एक वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रियाँ पड़ती हैं. जिनके दौरान साधक तंत्रिक पूजन के द्वारा भी माँ भगवती की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करते हैं.

गुप्त नवरात्रि में मां भगवती की आराधना का विशेष महत्व माना गया है. आम नवरात्रों में मां की आराधना सात्विक और तांत्रिक दोनों ही करते हैं, लेकिन गुप्त नवरात्रों में माता की साधना ज्यादातर तांत्रिक ही करते हैं. अमूमन गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली माता की आराधना का प्रचार, प्रसार नहीं किया जाता है. पूजा, मंत्र, पाठ और प्रसाद सभी चीजों को गोपनीय रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा को जितना गोपनीय रखा जाता है, फल उतना ही बेहतर प्राप्त होता है.

वैसे तो सभी व्रत की अपनी एक मान्यता होती है. ठीक वैसे ही इन व्रत की भी अपनी एक विशेषता होती है. इन व्रत के दौरान तांत्रिक और साधक मां के 10 स्वरूपों जिन्हें कि महाविद्या भी कहा जाता है, की साधना करते हैं ताकि गुप्त शक्तियां प्राप्त कर सकें. बता दें कि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी आधी रात में मां दुर्गा की पूजा करते हैं. मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करने के दौरान लाल रंग का सिन्दूर और सुनहरे गोटे वाली लाल रंग की चुनरी चढ़ाई जाती है.

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