Dussehra 2020 Puja Samgri: असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा का त्योहार इस वर्ष 25 अक्टूबर 2020 को पड़ रहा है. दशहरा को विजयदशमी भी कहा जाता है. इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है. इस आर्टिकल में हम आपके के लिए दशहरा की पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री के बारे में जानकारी लेकर आए हैं.
Dussehra 2020: दशहरा का त्यौहार बुराई पर भलाई की विजय का पर्व है. दशहरा का दिन नए व्यापार या किसी नए काम को शुरु करने के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. इसे अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं. नए वाहन, उपकरण, गहने, वस्त्र खरीदने के लिए दशहरा का दिन सबसे उत्तम माना जाता है. दशहरा के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. और मां भवानी ने महिषासुर का वध भी दशहरा के दिन ही किया था.
दशहरा के दिन अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा अवश्य करनी चाहिए. अस्त्र शस्त्रों की पूजा दशहरा के दिन करने से हमारे अस्त्र-शस्त्रों का प्रभाव बढ़ जाता है और वे ज्यादा शक्तिशाली होते हैं. अस्त्र शस्त्र का मतलब यानि की जीवन यापन के वह साधन जिनसे हम अपने जीवन यापन के साधन जुटाते हैं. तो आइए जानते हैं दशहरा की पूजन सामग्री, पूजा करने की विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जरुरी बातें.
दशहरा की पूजन सामग्री
दशहरा की पूजन सामग्री में गाय का गोबर, ज्वारे, दही, कपास, धूप, दीप, अक्षत, आटा, सुपारी, चंदन, कुमकुम, जनेऊ आदि चाहिए.
दशहरा की पूजा विधि
दशहरा के दिन सुबह उठने के बाद रावण की पूजा जाती है. क्योंकि रावण एक ब्राह्मण और विद्वान भी था. इसलिए रावण दहन से पहले सुबह-सुबह रावण को पूजा भी जाता है. रावण पूजा से पहले सुबह-सुबह जल्दी ही अपने घर की साफ-सफाई आदि कर लेनी चाहिए. और पूरे घर को गेंदे और आम के पत्तों से सजाना चाहिए. स्नान और सफाई तथा घर की साज-सज्जा करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन लेने चाहिए और पुरुषों को दशहरा के दिन सफेद कपड़े अवश्य पहनने चाहिए. दशहरा के दिन घर के सभी सदस्यों को जल्दी उठकर तैयार हो जाना चाहिए. दशहरा की पूजा सभी सदस्यों को मिलकर एक साथ ही करनी चाहिए.
नवरात्रि पूजा के दौरान उपयोग में लाए गए ज्वारे ही रावण पूजा में प्रयोग किए जाते हैं. इसके बाद आप धूप-दीप से रावण की पूजा करें. और इसके बाद आप परिवार के सदस्यों समेत रावण की परिक्रमा करें. और इसके बाद आप भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि हे भगवान आप हमारे परिवार में खुशियां लाइए ताकि हम हमेशा सदमार्ग पर चलते रहें. ऐसी प्रार्थना करने के बाद आप भगवान विष्णु को प्रणाम करें.
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