Aate Ka Diya Importance: जानिए मंदिर में क्यों जलाए जाते हैं आटे के दीये, होता है ये लाभ

Aate Ka Diya Importance: आप मंदिर में अक्सर लोगों को आटे के दीये जलाते हुए देखते हैं. लेकिन बहुत से लोगों को मंदिर में आटे के दीये जलाने के पीछे का महत्व नहीं पता है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि मंदिर में आटे के दीये क्यों जलाते हैं और ऐसा करने व्यक्ति को क्या लाभ होता है.

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Aate Ka Diya Importance: जानिए मंदिर में क्यों जलाए जाते हैं आटे के दीये, होता है ये लाभ

Aanchal Pandey

  • October 6, 2020 3:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

Aate Ka Diya Importance: हिंदू धर्मशास्त्रों में मंदिर में दीये जलाने का विशेष महत्व है. अक्सर हम मंदिर में मिट्टी के दीये जलते हुए दिखते हैं. लेकिन कभी-कभी किसी खास अवसर श्रद्धालुओं की तरफ से मंदिर में आटे के दीये भी जलाए जाते हैं. लेकिन बहुत सारे लोगों के मंदिर में आटे के दीये जलाने के पीछे का महत्व नहीं पता है. इस आर्टिल में हम आपको मंदिर में आटे के दीये जलाने के पीछे का महत्व बताने वाले हैं. आइए जानते हैं मंदिर में आटे के दीये जलाने के पीछे का महत्व के बारे में.

ये है आटे के दीये जलाने का महत्व

  • वास्तव में आटे के दीपक का प्रयोग किसी बहुत बड़ी कामना की पूर्ति के लिए किया जाता है.
  • अक्सर मन्नत के दिए आटे के बने होते हैं.
  • अन्य दीपक की तुलना में आटे के दीप को शुभ और पवित्र माना गया है. मां अन्नपूर्णा का आशीष इस दीप को स्वत: ही मिल जाता है.
  • मां दुर्गा, भगवान हनुमान, श्री गणेश, भोलेनाथ शंकर, भगवान विष्णु, भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम और श्री कृष्ण सभी के मंदिरों में आटे का दीप कामना पूर्ति के लिए जलाया जाता है.
  • मुख्य रूप से तांत्रिक क्रियाओं में आटे का दीप जलाते हैं.
  • कर्ज से मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति, खुद का घर, गृह कलह, पति-पत्नी में विवाद, जमीन जायदाद, कोर्ट कचहरी में विजय, झूठे मुकदमे तथा घोर आर्थिक संकट के निवारण हेतु आटे के दीप संकल्प के अनुसार जलाए जाते हैं.
  • ये दीप घटती और बढ़ती संख्या में लगाए जाते हैं. एक दीप से शुरुआत कर उसे 11 तक ले जाया जाता है. जैसे संकल्प के पहले दिन 1 फिर 2, 3, ,4 , 5 और 11 तक दीप जलाने के बाद 10, 9, 8, 7 ऐसे फिर घटते क्रम में दीप लगाए जाते हैं.
  • आटे में हल्दी मिला कर गुंथा जाता है और हाथों से उसे दीप का आकार दिया जाता है. फिर उसमें घी या तेल डाल कर बत्ती सुलगाई जाती है.
  • मन्नत पूरी होने के बाद एक साथ आटे के सारे संकल्पित दीये मंदिर में जाकर लगाए जाते हैं.
  • अगर दीप की संख्या पूरी होने से पहले ही कामना पूरी हो जाए तो क्रम को खंडित न करें. संकल्प में माने गए दीप पूरे जलाएं. किसी भी अच्छे दिन, अच्छे वार के शुभ मुहूर्त और चौघड़िया में दीप जलाने का प्रण लिया जा सकता है. हर दीप के साथ कामना अवश्य बोलें.

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