Dhanteras 2020 Date: धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है और इसी दिन से दिवाली के त्योहार की औपचारिक शुरूआत होती है. आज हम आपको इस खबर में बताने जा रहे हैं कि इस बार धनतेरस कब पड़ रही है और पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या होती है. धनतेरस 13 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा जो शुक्रवार का दिन पड़ रहा है. 13 नवंबर 2020 शाम 5:30 से 5:59 के बीच पूजा का शुभ मुहूर्त है. इसके अलावा प्रदोष काल की पूजा का शुभ समय 5:26 बजे से रात 8:05 बजे तक है.
नई दिल्ली: त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है. अगले महीने दशहरा और फिर दिवाली लेकिन दिवाली से पहले पड़ता है धनतेरस जो कृष्ण पक्ष के कार्तिक मास की त्रियोदशी को मनाया जाता है. इसे धन त्रियोदशी या धन्वंतरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक आज ही के दिन समुंद्र मंथन से आयुर्वेद के भगवान कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे जिसके लिए बाद में देव और असुरों के बीच लड़ाई हुई.
धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है और इसी दिन से दिवाली के त्योहार की औपचारिक शुरूआत होती है. आज हम आपको इस खबर में बताने जा रहे हैं कि इस बार धनतेरस कब पड़ रही है और पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या होती है.
धनतेरस 13 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा जो शुक्रवार का दिन पड़ रहा है. 13 नवंबर 2020 शाम 5:30 से 5:59 के बीच पूजा का शुभ मुहूर्त है. इसके अलावा प्रदोष काल की पूजा का शुभ समय 5:26 बजे से रात 8:05 बजे तक है.
बृषभ काल की पूजा का समय 5:30 बजे से रात्रि 7:25 तक है. त्रियोदशी तिथि 12 नवंबर रात 9:30 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 13 नवंबर शाम 5:59 बजे होगा.
मुहूर्त के बाद हम आपको बताते हैं कि धनतेरस पर आपको कैसे पूजा करनी है यानि धनतेरस की पूजा विधि क्या है?
धनतेरस पर संध्याकाल की पूजा सबसे शुभ मानी जाती है. घर के जिस भी हिस्से में आपका पूजाघर है वहां आपको उत्तर दिशा में भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित करनी है और उसकी विधिवत पूजा करनी है. इसके साथ ही आपको प्रथम पूज्य भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी है. संपत्ति के देवता कुबेर को सफेद मिठाई बहुत पसंद है और भगवान धन्वंतरि को पीले रंग की मिठाई पसंद है इसलिए भगवान कुबेर को सफेद और भगवान धन्वंतरि को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं.
यमराज की पूजा
धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है और उनके नाम से यमदीप निकाला जाता है. इस दिन चौराहे पर दक्षिण दिशा में मुंह करके दीप जलाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने पर आप अकाल मृत्यु से नहीं मरते. यमराज का दीपक आंटे के दिए से बनाया जाता है जो चौमुखी होता है. ये दीया आपको घर की चौखट पर दाईं और जलाना होता है. अघर ये दीपक रातभर चल सके तो काफी अच्छा होता है इसलिए इस दीपक में पर्याप्त तेल डाला जाता है.
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