Prashant Bhushan case: प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के 6 सालों के कार्यकाल पर टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि 'जब भविष्य में इतिहासकार पिछले छह वर्षों को देखेंते तो वह पाएंगे कि औपचारिक आपातकाल के बिना भी भारत में लोकतंत्र कैसे नष्ट हो गया है. विशेष रूप से इस विनाश में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को चिह्नित करेंगे. इससे भी विशेष रूप से पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की भूमिका को भी चिह्नित करेंगे.
नई दिल्ली: कोर्ट की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर एक रूपये का जुर्माना लगाया है और जुर्माना ना भरने पर 3 महीने की जेल की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुर्माना राशि 15 सितंबर तक जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह की जेल हो सकती है और वकालत से तीन साल तक प्रतिबंधित किया जा सकता है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को 14 अगस्त को भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की आलोचना करते हुए दो ट्वीट करने का दोषी पाया था. प्रशांत भूषण को सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि फ्रीडम ऑफ स्पीच यानी अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता, मगर दूसरों के अधिकारों का सम्मान करने की जरूरत है. अवमानना मामले में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर प्रशांत भूषण 1 रुपए का जुर्माना नहीं भरते हैं तो इस स्थिति में उन्हें तीन महीने की जेल हो सकती है या फिर तीन साल तक वकालत करने से रोक दिया जाएगा.
दरअसल प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के 6 सालों के कार्यकाल पर टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि ‘जब भविष्य में इतिहासकार पिछले छह वर्षों को देखेंते तो वह पाएंगे कि औपचारिक आपातकाल के बिना भी भारत में लोकतंत्र कैसे नष्ट हो गया है. विशेष रूप से इस विनाश में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को चिह्नित करेंगे. इससे भी विशेष रूप से पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की भूमिका को भी चिह्नित करेंगे.’ 29 जून को किए दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ‘सीजेआई ने बिना मास्क या हेलमेट पहने नागपुर में एक भाजपा नेता की 50 लाख रुपये की मोटर साइकिल की सवारी की. उन्होंने ऐसे समय में यह सवारी की जब वह सुप्रीम कोर्ट को लॉकडाउन मोड पर रखते हैं और नागरिकों को न्याय पाने के उसे उनके मौलिक अधिकार से वंचित करते हैं.
प्रशांत भूषण के ट्वीट को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताते हुए एक वकील मेहेक माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर प्रशांत भूषण के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी. माहेश्वरी की याचिका पर इतनी सहमति नहीं थी, लेकिन अदालत ने फिर भी माहेश्वरी की याचिका के आधार पर मुकदमा करने का फैसला किया.
प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने अपने ट्वीट्स के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह मामला बोलने की आजादी के तहत आता है. प्रशांत भूषण ने अपने बचाव में सुप्रीम कोर्ट की इसी तरह की आलोचना का हवाला दिया, जिसमें वर्तमान और पूर्व जजों ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी. कोर्ट से माफी मांगने से मना करने पर कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज उन्हें एक रूपये आर्थिक दंड भुगतने की सजा सुनाई गई.
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