Hanuman Jayanti 2020: जानिए कब हनुमान जी पर शुरू हुआ था शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव, क्या है पूरी कथा

Hanuman Jayanti 2020: शास्त्रों में बताया गया है कि एक बार हनुमान जी पर भी शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई थी. लेकिन शनिदेव ने तुरंत ही अपनी साढ़ेसाती का प्रभाव हनुमान जी से हटा लिया था. जानिए क्या है पूरी कहानी.

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Hanuman Jayanti 2020: जानिए कब हनुमान जी पर शुरू हुआ था शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव, क्या है पूरी कथा

Aanchal Pandey

  • April 7, 2020 3:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन बजरंगबली की विशेष रूप से पूजा की जाती है. शास्त्रों की मानें तो एक समय हनुमान जी पर भी शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई थी. लेकिन शनिदेव ने तुरंत ही अपनी साढ़ेसाती का प्रभाव हनुमान जी से हटा लिया था. जानिए क्या है इसके पीछे पूरी कहानी.

हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है. कहा जाता है कि अगर शनि महाराज नाराज हो जाएं तो व्यक्ति को बेहद कठोर दंड देते हैं. अगर शनि की साढ़ेसाती किसी पर प्रारंभ हो जाए तो सात साल तक पीछा नहीं छोड़ती. पौराणिक कथा की मानें तो एक बार हनुमान जी राम भगवान का स्मरण कर रहा थे.

उस समय शनि देव हनुमान जी के पास आए और कर्कश स्वर में कहा कि वे उन्हें सावधान करने आए हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने जिस क्षण अपनी लीला का अंत किया था उसी समय पृथ्वी पर कलयुग का प्रभुत्व हो गया था. इस कलयुग में कोई भी देवता पृथ्वी पर नहीं रहते क्योंकि जो इस पृथ्वी पर रहता है उसपर मेरी साढ़ेसाती की दशा जरूर प्रभावी होती है और यह अब आपके ऊपर भी प्रभावी होगी.

शनिदेव की बात सुनकर हनुमान जी ने कहा कि जो भी प्राणी या देवता श्रीराम के चरणों में आश्रित होता है उनपर काल का प्रभाव नहीं होता. इसलिए आप मुझे छोड़कर कहीं ओर चले जाएं. मेरे शरीर पर प्रभु राम के अलावा कोई दूसरा प्रभाव नहीं डाल सकता है. हनुमान जी की बात सुनकर शनि देव ने कहा कि मैं सृष्टिकर्ता के विधान से विवश हूं. इसलिए आपके ऊपर शनि साढ़ेसाती कोई नहीं टाल सकता है.

शनिदेव की बात सुनकर हनुमान जी ने उन्हें कहा कि आपको आना है तो आ जाइए मैं नहीं रोकूंगा. इसके बाद शनिदेव हनुमान जी के मस्तिष्क में जाकर बैठ गए जिस वजह से हनुमान जी के मस्तिष्क में खुजली हो गई. उसे मिटाने के लिए हनुमान जी ने एक बड़ा पर्वत सिर पर रख लिया. जिसके बाद शनि देव पर्वत से घबराते हुए हनुमान जी से बोले कि वे यह क्या कर रहे हैं तो हनुमान जी ने कहा कि आप अपना कार्य करिए मैं अपना कर रहा हूं. जिसके बाद उन्होंने एक और बड़ा पर्वत मस्तक पर रख लिया.

पर्वतों से दबकर शनिदेव परेशान हो गए और पर्वतों को हटाने के लिए कहने लगे. लेकिन हनुमान जी ने एक और पर्वत सिर पर रख लिया. अब पर्वत से दबकर शनि देव ने हनुमान जी से कहा कि उन्हें छोड़ दें और वे उनपर कभी हावी नहीं होंगे. जिसके बाद हनुमान जी ने सिर से पर्वतों को उतार लिया था.

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