देशभर में बेरोजगारी, मंहगाई, सुरक्षा, अपराध जैसे कई मुद्दें हैं जिन्हें लेकर छात्र, किसान, शिक्षक व हर मजहब का इंसान परेशान है. सरकार मुद्दों को दरकिनार करते हुए राजनीति को भुना रही है वह किसी से छिपा नहीं है. देश के मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहना उचित है कि सरकार देश के गंभीर मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने पर काम कर रही है. इसके साथ ही आने वाले चुनावों की तैयारी करते हुए अपनी राजनीति आगे बढ़ा रही है।
नई दिल्ली. #CAA और #NRC जैसे मुद्दे के जरिए क्या मोदी और अमित शाह की जोड़ी सरकार की नाकामयाबी से लोगों का ध्यान भटका रही है। बीते कई दिनों से मानो सरकार के विरोध में ज्वालामुखी फूट पड़ा हो। यह विरोध सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को लेकर चल रहा है। देश भर में छात्र संगठन इसे लेकर सरकार के विरोध में धरने प्रदर्शन हो रहे हैं।
क्या है CAA और NRC
नागरिकता संशोधन कानून 2019 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से धार्मिक रूप से प्रताड़ित हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के ऐसे शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देता है जो दिसंबर 2014 से पहले भारत में आ चुके हैं। वहीं NRC को लेकर दावे किए जा रहे हैं कि यह देश में अवैध रूप से रहने वाले घुसपैठियों की पहचान करने और देश से खदेड़ने के लिए लाया जा रहा है।
क्यों हो रहा है विरोध
CAA और NRC का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह नागरिकों के बीच धार्मिक रूप से भेदभाव करता है। विरोधियों का कहना है कि ऐसा करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। CAA और NRC के विरोध में ये बात मोटी-मोटी हैं। लेकिन कुछ विरोधियों का यह भी कहना था कि सरकार अपनी नाकामयाबियों को छिपाने के लिए इस तरह का कानून लेकर आ रही है। वहीं कुछ विरोधियों का कहना है कि भाजपा आगामी चुनावों को देखते हुए राजनीतिक रोटी सेंक रही है।
किन नाकामयाबियों को छिपा रही है सरकार
CAA और NRC के विरोध कर रहे कुछ लोगों का यह भी कहना है कि देश की गिरती जीडीपी, बेरोजगारी, मंहगाई, सुरक्षा, अपराध जैसे बड़े मुद्दों को केंद्र की मोदी सरकार छिपाने का काम कर रही है. विरोधियों का कहना है कि देश की अर्थवयस्था डूब रही है. चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में जीडीपी का आंकड़ा 4.5 फीसदी से भी नीचे पहुंच गई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और अर्थव्यवस्था का नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी भी देश की डगमगाती अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं।
दूसरी ओर बेरोज़गारी की बात करें तो केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही जो कि 45 साल में सबसे ज्यादा रही. वहीं लॉ एंड ऑर्डर की बात करें तो हाल में ही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने एक साल की देरी के बाद 2017 के आंकड़े जारी किए हैं, जिसके मुताबिक देशभर में संज्ञेय अपराध में पिछले साल की तुलना 3.6 फीसदी ज्यादा हो गए हैं. हालांकि सरकार और उसके समर्थक इन खबरों से बचते हैं।
आगामी चुनावों की तैयारी
आने वाले दिनों में देश के दो प्रमुख राज्य पश्चिम बंगाल और बिहार में चुनाव होने हैं। विरोधियों का कहना है कि CAA और NRC की कवायद इन्हीं चुनावों को लेकर है। दावा किया जा रहा है कि भाजपा पश्चिम बंगाल और बिहार में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दों को लेकर चुनाव में जाना चाहती है। आरोप है कि भाजपा CAA और NRC के जरिए वोटों का ध्रुवीकरण करना चहती है।
विरोध के साथ समर्थन भी
यूं तो CAA और NRC का देशव्यापी विरोध हो रहा है। लेकिन इसके समर्थन में भी सरकार और भाजपा समर्थक सड़कों पर हैं। राज्यसभा में इस बिल पर बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह का विरोधी दलों से कहना था कि आप चाहते क्या हैं, पूरी दुनिया से मुसलमान यहां आएं और उन्हें हम नागरिक बना दें, देश कैसे चलेगा। वहीं यूगांडा से आए हिंदूओं को नागरिकता देने पर कांग्रेस और विरोधियों से पूछा कि पूरी दुनिया में कौन सा देश है जहां हिंदू शरण लेने जा सकता है।
उनका यह कहना था कि ऐसे में इस तरह के कानून की जरूरत है।वहीं इस बिल के समर्थन में कुछ लोगों का यह भी कहना है कि दुनिया भर में अफगानिस्तान, तुर्की, पाकिस्तान और ईरान जैसे 50 इस्लामिक देश हैं। ऐसे में अगर एक देश हिंदू राष्ट्र बनता है तो इसमें गलत क्या है। ऐसे CAA और NRC का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि सरकार और भाजपा समर्थक देश को हिंदू राष्ट्र बनाने और अपनी कमियों को ढंकना चाह रही है।