AIMIM in Jharkhand Assembly Election Result 2019: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में प्रदर्शन निरासाजनक रहा. एआईएमआईएम के उम्मीदवार झारखंड में एक भी सीट नहीं जीत पाए. अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. जिस तरह से इस साल महाराष्ट्र और बिहार के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी ने अच्छा प्रदर्शन किया था, झारखंड में इसका असर बहुूत फीका रहा.
रांची. झारखंड में विधानसभा चुनाव के नतीजे आना शुरू हो गए हैं. अभी तक के रुझानों के मुताबिक असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी राज्य में बुरी तरह पिट गई है. एआईएमआईएम को राज्य में नोटा से भी कम वोट मिले हैं. अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त होने जा रही है. ओवैसी ने झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में जितनी जोर-शोर से प्रचार किया था, उसके मुकाबले पार्टी का प्रदर्शन बहुत फीका रहा. असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने इसी साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और बिहार उपचुनाव में जीत दर्ज कर सभी को चौंकाया था.
असदुद्दीन ओवैसी ने झारखंड की कुल 14 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. एआईएमआईएम ने झारखंड चुनाव में बोकारो, हजारीबाग, मधुपुर, सारठ, धनवार, गढ़वा, विश्रामपुर, राजमहल, डुमरी, बरकट्ठा, जमेशपुर पश्चिमी, महागमा, गांडेय और मांडू विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा.
इनमें से सिर्फ डुमरी विधानसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार अब्दुल मोबिन रिजवी ने कुछ ठीक-ठाक प्रदर्शन किया है. रिजवी दुमरी सीट पर वोटों की गिनती में चौथे नंबर पर हैं. इसके अलावा सभी सीटों पर एआईएमआईएम के उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने जा रही है.
झारखंड में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को अब तक 1 प्रतिशत वोट ही मिल पाए हैं. इससे ज्यादा राज्य में लोगों ने नोटा को वोट दिया. नोटा को अब तक करीब 1.5 प्रतिशत वोट मिले हैं.
लोकसभा चुनाव 2019 में ओवैसी ने महाराष्ट्र में खोला था खाता-
इसी साल मई में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र की औरंगाबाद सीट पर जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था. लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम की महाराष्ट्र में यह पहली जीत थी. उनकी पार्टी का प्रभाव क्षेत्र अधिकतर ओवैसी के गृह क्षेत्र हैदराबाद के आस-पास ही रहा है, ऐसे में महाराष्ट्र में एक लोकसभा सीट जीतना बड़ी बात थी. इसके बाद अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी ओवैसी की पार्टी ने महाराष्ट्र की दो विधानसभा सीटों धुले और मालेगांव सेंट्रल पर जीत दर्ज की थी.
ओवैसी ने बिहार में भी पैर पसारे-
असदुद्दीन ओवैसी में दो महीने पहले हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान बिहार की किशनगंज सीट पर जीत कर सबको चौंका दिया था. किशनगंज में एआईएमआईएम उम्मीदवार ने बीजेपी प्रत्याशी को करीब 10,000 वोटों से मात दी थी.
फिर झारखंड में ओवैसी क्यों हुए फेल?
महाराष्ट्र और बिहार में मिली जीत के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने झारखंड चुनाव में भी जोर-शोर से प्रचार कर चुनावी मैदान में कूद पड़े. हालांकि जैसे ही परिणाम आए उनका जोश ठंडा हो गया. वैसे तो ओवैसी हमेशा अल्पसंख्यकों के हक को लेकर लड़ते हैं और उनका वोट बैंक भी मुस्लिम समुदाय ही है. हालांकि झारखंड चुनाव में ओवैसी ने कुछ सीटों पर गैर मुस्लिम उम्मीदवार भी उतारे.
ओवैसी खुद कई विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे और बड़ी रैलियां कीं. इस दौरान उन्होंने झारखंड के क्षेत्रीय मुद्दे भी उठाए और सत्ताधारी बीजेपी और रघुवर दास सरकार को जमकर घेरा. हालांकि इसे वे वोटों में तब्दील नहीं कर पाए.
दरअसल, झारखंड की राजनीति अन्य राज्यों से अलग है. झारखंड आदिवासी बहुल्य राज्य है, धार्मिक और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय वहां के लोग क्षेत्रीय मुद्दों पर ज्यादा तरजीह देते हैं. वहीं झारखंड में बीजेपी, कांग्रेस के अलावा झामुमो, झाविमो समेत अन्य कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं, जिनका अपने क्षेत्र में अच्छा दबदबा है.
ओवैसी राज्य की राजनीति में नए हैं, लोगों ने इस चुनाव में किसी बाहरी व्यक्ति पर भरोसा जताने के बजाय पुराने दावेदारों पर ही अपना दांव खेला. हालांकि ओवैसी की नजर अब 2021 में पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है.
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