Delhi Anaj Mandi Fire: दिल्ली की अनाज मंडी की उसी बिल्डिंग में फिर भीषण आग लगी है जहां कल 43 लोग मरे थे. मौके पर दमकल विभाग की गाड़ियां आग बुझाने का काम कर रही हैं. कहा जा रहा है कि कल आग लगने के बाद मरने वालों में ज्यादातर आग के कारण नहीं बल्कि धुएं में दम घुटने के कारण मरे. भीड़ भरे कमरे और वेंटिलेशन की कमी का मतलब था कि अधिकांश लोगों ने बहुत अधिक धुआं सांस के जरिए अंदर लिया, जिसके परिणामस्वरूप सांस की कमी, या फेफड़ों और श्वसन प्रणाली में गंभीर नुकसान पहुंचा.
नई दिल्ली. अधिकारियों ने कहा कि उत्तरी दिल्ली के भीड़भाड़ वाली अनाज मंडी इलाके में उसी इमारत में सोमवार को दोबारा आग लग गई जिसमें रविवार को 43 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए. डीएफएस के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा, यह एक छोटी सी आग थी. लोगों ने धुआं देखा और दिल्ली फायर सर्विस को फोन किया. आग पर काबू पा लिया गया. घटनास्थल पर चार फायर टेंडर भेजे गए हैं. रविवार तड़के अनाज मंडी में अवैध फैक्ट्री में लगी भीषण आग में 43 लोगों की मौत हो गई. 20 साल में ये सबसे खराब हादसा हुआ, जिसने राजधानी में आग से सुरक्षा के नियमों की धज्जियां उड़ा दीं.
चार मंजिला इमारत में आग लगने से बीस लोग घायल हो गए, जिनमें बैग, प्लास्टिक के खिलौने और जैकेट बनाने वाली कम से कम पांच अलग-अलग बिना लाइसेंस वाली इकाइयां थीं और रात में फर्श पर सोने वाले लगभग 70 मज़दूर भी थे. अग्निशमन विभाग ने कहा कि यह दिल्ली की सबसे भीषण आग दुर्घटनाओं में से एक थी. 13 जून 1997 को, उपार सिनेमा परिसर के तहखाने में एक ट्रांसफार्मर से शुरू हुई आग में 59 मौतें हुईं थीं. दो साल बाद, पुरानी दिल्ली के लाल कुआं में, रासायनिक गोदाम में आग लगने से 57 लोगों की मौत हो गई थी.
Delhi: A fire has broken out in the same building in Anaj Mandi, Rani Jhansi Road where 43 people had died in a fire incident yesterday. Four fire tenders have been rushed to the spot. pic.twitter.com/f1heEaQ7dU
— ANI (@ANI) December 9, 2019
दोपहर में क्षेत्र का दौरा करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए और मृतकों और घायलों के परिवारों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की. कहा गया है कि इसी इमारत में कल मरने वाले 43 लोगों में से ज्यादातर की जान दम घुटने के कारण हुई. डॉक्टर का कहना है कि ज्यादातर जान जलने के कारण नहीं बल्कि धुएं में दम घुटने के कारण हुई हैं. दरअसल फैक्टरी में सोने वाले मजदूरों ने ठंड बढ़ने के कारण फैक्टरी के सभी खिड़की दरवाजे बंद कर लिए थे. वहां भीड़ भरे कमरे और वेंटिलेशन की कमी के कारण अधिकांश लोगों ने बहुत अधिक धुआं सांस के जरिए अंदर लिया, जिसके परिणामस्वरूप सांस की कमी, या फेफड़ों और श्वसन प्रणाली में गंभीर नुकसान पहुंचा.
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