Supreme Court on Air Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार समेत संबंधित सभी राज्यों की सरकारों से हालात न सुधरने पर 6 हफ्तों में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
नई दिल्ली. वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार समेत यूपी, मध्य प्रदेश समेत प्रदुषण से जूझ रहे सभी राज्यों की सरकारों से नाराजगी जाहिर करते हुए 6 हफ्तों में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बाद भी प्रदूषण की हालात में कोई सुधार नहीं है. समय आ गया है कि अब सभी राज्य सरकारों की जवाबदेही तय की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वायु और जल प्रदूषण से निपटना और जन सुविधा के इंतजाम करना राज्य सरकारों की संवैधानिक ड्यूटी है. सरकारें साथ बैठकर समाधान निकालें. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि वायु प्रदूषण से सभी संबंधित राज्य हमे बताएं कि उनके विभिन्न शहरों की हवा की गुणवत्ता और कचरा प्रबंधन का इंतज़ाम क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यमुना के जल स्तर प्रवाह और सफाई को लेकर क्या किया जा रहा है? नदियों में प्रदूषण को खत्म करने की क्या योजना है? सीवेज सिस्टम की स्थिति क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीवेज, गार्बेज और जल वायु प्रदूषण पर सभी संबंधित राज्य रिपोर्ट दें. साथ ही अदालत ने कहा कि पंजाब के मुख्य सचिव बताएं कि पराली जलाने की समस्या को ठीक करने के लिए कितनी मशीनें किसानों को दी गईं?
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमारे आदेश के बाद भी स्थिति ठीक नहीं हुई. वायु प्रदूषण की वजह से लोग कैंसर समेत कई तरह की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि समय आ गया है अब इसको लेकर कदम उठाए जाएं. राज्य सरकारों का फर्ज है कि वो लोगों के स्वाथ्य का ख्याल रखें.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साफ पानी और साफ हवा लोगों का मौलिक अधिकार है, इसे लोगों से छीना नहीं जा सकता. कई शहरों में साफ पानी सप्लाई नहीं किया जाता जिसमें मध्य प्रदेश का ग्वालियर भी शामिल है. कोर्ट ने कहा कि समय पूरा होने पर सप्लाई पाइप बदलनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता. खर्च करोड़ों रुपए किया जाता लेकिन काम नहीं होता.
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार समेत दूसरे राज्य सरकारों को भी कहा कि पानी की गुणवत्ता को लेकर रिपोर्ट दाखिल करें. कोर्ट ने कहा कि हमारे कई आदेश जारी करने के बाद दिल्ली- एनसीआर में स्थिति बेहतर नहीं हुई. अब समय आ गया कि राज्य सरकारों की जवाबदेही तय हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों को क्यों न मुआवजा देना पड़े जो लोग प्रदूषण की वजह से बीमार हुए है ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की दिल्ली सरकार के टॉप से बॉटम के लोग जो प्रदूषण रोकने में नाकाम है उनपर हर्जाना क्यों न लगाया जाए ? कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि 6 हफ्ते में जवाब दाखिल करें.