How to Be Happy in Life, World Mental Health Day 2019, Jeevan me Khush kaise rahe: आज के दौर में मानसिक तनाव इतना बढ़ रहा है कि हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति सुसाइड यानी आत्महत्या कर अपनी जान दे रहा है. हममें से कई लोग डिप्रेशन या अवसाद, चिंता या तनाव से गुजरते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि अवसाद से कैसे बाहर निकलें, डिप्रेशन को कैसे दूर करें, जिंदगी में खुश कैसे रहें? विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस यानी वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के मौके पर हम आपको जीवन में खुश रहने के टिप्स बता रहे हैं.
नई दिल्ली. आज 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस यानी वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जा रहा है. 21वीं सदी में जहां कॉम्पिटिशन बढ़ गया है. लोगों को एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ सी मची हुई है. ऐसे में डिप्रेशन यानी अवसाद की बीमारी बढ़ रही है. किसी के लिए पैसा तो किसी के लिए प्यार, किसी के लिए परिवार तो किसी के लिए कारोबार, तरह-तरह की चिंता से मानसिक तनाव उत्पन्न हो रहा है. इसलिए जरूरी है कि शारीरिक स्वास्थ्य की तरह हम अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी स्वस्थ रखें तो जीवन में हमेशा प्रसन्नचित रहेंगे. वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के मौके पर आपको अवसाद (Depression), तनाव (Anxiety) जैसी समस्याओं से निजात पाने और जिंदगी में खुश रहने के टिप्स बता रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनिया में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर अपनी जिंदगी खत्म कर देता है. वर्तमान दौर में लोग खुद से इतनी घृणा (Self Hatred) करने लगें हैं कि आत्महत्या यानी सुसाइड जैसे खतरनाक कदम उठाने से नहीं कतराते. चाहे हमारे साथ जीवन में कितना ही बुरा ही क्यों न हुआ हो लेकिन सकारात्मक सोच रखेंगे और खुश रहेंगे तो कभी सुसाइड करने की नहीं सोचेंगे.
किताबें अच्छी दोस्त होती हैं-
यदि आप अवसाद के दौर से गुजर रहे हैं तो ऐसे समय में किताबें आपकी सबसे अच्छी दोस्त हो सकती हैं. सामान्य दिनों में भी आप अपने व्यस्त समय से कुछ पल किताब पढ़ने में लगाएं तो खुद को ज्ञानवर्धक और सकारात्मक महसूस करेंगे. अपनी रुचि और मूड के अनुसार किताबों का चयन कर सकते हैं. गुलाम मोहम्मद कासिर का शेर कुछ इस तरह है-
‘बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्छा हो
ऐ काश हमारी आंखों का इक्कीसवां ख्वाब तो अच्छा हो‘
नकारात्मकता फैलाने वालों से दूर रहें, चाहे वो आपका कोई करीबी ही क्यों न हों-
वैसे तो डिप्रेशन के दौरान व्यक्ति खुद को अकेले ही रखना पसंद करता है. मगर इस समय यदि नकारात्मक विचार आपके आस-पास भी फटक जाए तो अवसादग्रस्त व्यक्ति और भी निगेटिव हो जाता है. स्थिति ज्यादा खराब हो जाए तो वह आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम भी उठा सकता है. ऐसे में जरूरी है कि डिप्रेशन के दौरान जितना हो सके आप सकारात्मक माहौल में रहें. यदि आपके आस-पास घर या ऑफिस, कॉलेज कहीं भी कोई भी नकारात्मक बातें करता है तो आप उससे दूरी बना लें, चाहें वह आपका कितना भी करीबी क्यों न हों.
प्यार, प्यार, प्यार…. बांटते चलो प्यार-
प्रेम, मोहब्बत, लव, इश्क, प्यार…. आप इसे जो नाम दें, यह बहुत खूबसूरत भाव है. प्रेम की कोई सीमा नहीं होती. इसे आप किसी लड़के या किसी लड़के तक, या फिर जवान उम्र तक सीमित नहीं कर सकते. एक शिशु जब जन्म लेता है, प्रेम की प्रक्रिया उसके लिए वहीं से शुरू हो जाती है. उसका पहला प्यार उसे जन्म देने वाली मां होती है. प्रेम पूरी जिंदगी मरते दम तक चलता है.
आप अपने पति या पत्नी, बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड से इश्क-मोहब्बत तो करें हीं. साथ-साथ अपने आस-पास मौजूद हर चीज से प्रेम करना सीखें. इससे आपकी जिंदगी इतनी खूबसूरत हो जाएगी जितना आपने कभी सोचा नहीं होगा. अपने काम से प्रेम करें. अपने विचारों में प्रेम भाव लाएं. लोगों से प्रेम करें. जानवरों से प्रेम करें. दोस्तों से प्रेम करें और यहां तक कि दुश्मनों से भी प्रेम करें. क्योंकि प्यार से पूरे जग को जीता जा सकता है.
खुद से इश्क करना सीखें-
दूसरों को प्यार बांटने से पहले खुद से प्रेम करना सीखें. दुनिया चाहे आपके बारे में जो सोचें, यदि आप खुद को लेकर सकारात्मक रहेंगे, खुद को पसंद करेंगे तो अवसाद में कभी नहीं जाएंगे. किसी ने खूब लिखा है-
‘मुस्कान से खिला चेहरा, हर गम की दवा है,
दुख का कोई भी पहरा, इसके आगे न टिका है‘.
हालांकि सिर्फ चेहरे पर खुशी लाने से आप खुश नहीं हो सकते, मन को भी खुश रखना जरूरी है. ऐसे काम करें जिससे आपको मानसिक सुख मिल सके. अगर आपको पेंटिंग बनाना पसंद है तो वो बनाएं. लिखना पसंद है तो कविता-कहानियां लिखें. गाना पसंद है तो संगीत की अभ्यास करें. डांस पसंद है तो डांस करें. आपको जिसमें सुख मिले वो करें. आपका मन खुश होगा तो चेहरे पर खिलखिलाहट अपने आप ही आ जाएगी.
सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त न बिताएं-
सोशल मीडिया के इस डिजिटल दौर में हम सोशल होना भूल गए हैं. फेसबुक पर हमारे हजारों फ्रेंड्स हैं. इंस्टाग्राम, ट्विटर पर भी हमारे हजारों फोलोवर्स हैं. मगर हम ये भूल गए हैं कि असल जिंदगी में हमारे कितने दोस्त हैं. हम रोज सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं, लोगों से चैट करते हैं, लाइक-कमेंट करते हैं. मगर असल जिंदगी में हमारे पास रहने वाले लोगों से उतना ही दूर भागते हैं. यानी कि सोशल मीडिया के इस दौर में हम सोशली (सामाजिक तरीके से) एक्टिव होना भूल गए हैं. जरूरत है कि डिजिटल दुनिया से बाहर निकल कर असल जिंदगी में लोगों के साथ वक्त बिताएं. इससे आप मानसिक रूप से खुशी महसूस करेंगे.
सोशल मीडिया लोगों को एक दूसरे से जला रहा-
फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आज दिखावे की होड़ मची हुई है. जिस व्यक्ति के सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फ्रेंड्स या फॉलोवर्स होते हैं वो खुद को ‘राजा’ समझने लगता है. वहीं जिन लोगों के कम फॉलोवर्स होते हैं उन्हें वे तुच्छ समझते हैं. पोस्ट पर लाइक्स और कमेंट्स भी ‘स्टेटस सिंबल’ बनते जा रहे हैं. डिजिटल दौर में दूसरों से बेहतर बनने की ललक लोगों को ले डूब रही है. जरूरी है कि इन सभी चीजों से दूर रहें और सोशल मीडिया को महज एक सूचना और मनोरंजन का साधन ही समझें.
आध्यात्मिक पक्ष को मजबूत करें-
कहते हैं- ‘जब कोई नहीं आता, ऊपर वाला आता है’. यदि हम ऊपर वाले यानी भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु, ईश्वर किसी पर भी विश्वास करते हैं तो दुख के दिनों में अक्सर उसे याद करते हैं. धर्म और अध्यात्म इंसान को सकारात्मकता देता है, उसे जीने की राह दिखलाता है. यदि आप अवसाद से गुजर रहे हैं तो अपने ईश्वर का ध्यान करें, उस पर विश्वास रखें कि वह आपका बुरा दौर खत्म कर देगा. अध्यात्म आपको आत्मचिंतन की ओर ले जाता है, इससे अपने अंदर मौजूद गुण-अवगुणों का आभास होता है और आपको आगे बढ़ने की हिम्मत मिलती है.
प्रेरणादायक लोगों की जीवनियां पढ़ें-
दुनियाभर में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपने जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर बुरे दिन देखे हैं. लगातार मिली हार के बावजूद वे फिर उठ खड़े हुए और अपने विचारों से पूरी दुनिया बदल कर रख ली. ऐसे महान लोगों के जीवन की प्रेरणादायक कहानियां पढ़ने पर आपके विचारों में भी पॉजिटिविटी आएगी.
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