Sharad Purnima Date 2019: शरद पूर्णिमा अश्विन माह की शुक्लपक्ष तिथि को मनाई जाती है. शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कौमुदी व्रत और कोजगार पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन खीर के सेवन का विशेष महत्व बताया गया है.
नई दिल्ली. अश्विन माह की शुक्लपक्ष तिथि की पूर्णिमा को शरद पू्र्णिमा कहा जाता है. हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. इसे कौमुदी व्रत, कोजगार पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की किरणों में अमृत समा जाता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन विष्णु जी के चार मास के शयनकाल का अंतिम चरण होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर पूरी रात किरणों से अमृत बरसाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मी का जन्म हुआ. वहीं इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन के निधिवन में गोपियों संग रास रचाते थे. इस साल 13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है.
क्या है शरद पूर्णिमा का खास महत्व
हिंदू धर्म की मान्यता के अऩुसार, शरद पूर्णिमा के दिन व्रत करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं और व्यक्ति के सभी दूख दूर हो जाते हैं. शरद पूर्णिमा को कौमुदी व्रत भी कहा गया है इसलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी विवाहित स्त्रियां व्रत करती हैं उन्हें जल्द योग्य संतान की प्राप्ति होती है और जो मां अपने बच्चों के लिए व्रत रखती हैं उनके संतान की उम्र लंबी होती है. वहीं अगर अविवाहित कन्याओं को इस दिन व्रत करने से उत्तम और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
शरद पूर्णिमा की रात चांद सबसे ज्यादा चमकता है. इस दिन चंद्रमा की किरणों में काफी तेज होता है जिससे व्यक्ति की शारीरिक, आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है. इसके साथ ही असाध्य रोगों को दूर करने की क्षमता होती है.
शरद पूर्णिमा पर खीर का खास महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर दूध से बनी खीर का सेवन काफी विशेष बताया गया है. इस पूर्णिमा की खीर को अमृत सामान माना जाता है. इसलिए आप भी इस शरद पूर्णिमा खीर का सेवन जरूर करें.
Karva Chauth 2019: करवा चौथ पर पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं भूल कर भी ना करें ये 8 काम