Maha Saptami 2019: नवरात्रि के सातवें दिन मनाई जाती है महा सप्‍तमी, जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र समेत पूरी जानकारी

Maha Saptami 2019, maha saptami durga puja samay: नवरात्रि का पर्व पूरे भारत में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, इसे लेकर काफी समय से तैयारी की जाती है. नवारत्रि के सातवें दिन सप्‍तमी मनाई जाएगी. इस वर्ष 5 अक्टूबर, रविवार को महा सप्तमी है. इस दिन कालरात्र‍ि की पूजा की जाती है.

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Maha Saptami 2019: नवरात्रि के सातवें दिन मनाई जाती है महा सप्‍तमी, जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र समेत पूरी जानकारी

Aanchal Pandey

  • October 4, 2019 1:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. नवरात्रि के सभी नौ दिन देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को समर्पित हैं. देवी दुर्गा के प्रत्येक रूप की एक विशेष दिन पूजा की जाती है. नवरात्रि में महा सप्तमी 2019 या सातवां दिन मां दुर्गा के सातवें अवतार मां कालरात्रि को समर्पित है. ये नाम दो शब्दों के साथ बनाया गया है, काल का अर्थ है मृत्यु और रत्रि का अर्थ है अंधकार. इसलिए, कालरात्रि का अर्थ है, काल या समय की मृत्यु. कहा जाता है कि मां कालरात्रि अज्ञान का नाश करती हैं और अंधकार में रोशनी लाती हैं.

यह इस तथ्य के कारण है कि यह अवतार अंधेरे पक्ष को दर्शाता है, महाशक्ति जो कहर पैदा करती है और सभी खराब चीजों को मनुष्य के जीवन से निकाल देती है. महा सप्‍तमी 5 अक्टूबर, रविवार को है.

मां दुर्गा के अन्य रूपों के विपरीत, मां कालरात्रि के पास एक गहरा रंग है. मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं जो बिजली की तरह किरणों का उत्सर्जन करते हैं. वह चमकते हार की तरह वज्र धारण करती है. यह भी कहा जाता है कि जब वह सांस लेती है और हवा निकालती है, तो उसकी नाक से आग निकलती है.

मान्यता के अनुसार, भक्त नवरात्रि के सातवें दिन फूल और कुमकुम (सिंदूर) से पूजा करते हैं. भक्तों ने पूजा करने के साथ ही देवी कालरात्रि के लिए मंत्र का जाप किया जाता है.

नवरात्रि 2019 का सातवां दिन: दिन का शुभ रंग

नवरात्रि के प्रत्येक दिन का अपना रंग होता है. सातवें दिन या सप्तमी के दिन, ग्रेय (grey) रंग पहनें क्योंकि यह परिवर्तन की ताकत का प्रतीक है.

कालरात्रि देवी के मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।

वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।

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